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बकरीद 2020: महाराष्ट्र सरकार ने जारी की गाइडलाइन, कांग्रेस नेता ने CM से पूछा कैसे दें प्रतीकात्मक कुर्बानी

महाराष्ट्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक, मुस्लिम भाई नमाज मस्जिद या ईदगाह पर अदा न करें, कोविड 19 के कारण सभी धार्मिक कार्यक्रमों पर पाबंदी है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 24, 2020 20:28 IST
Maharashtra Government issues guidelines for Bakra Eid 2020- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE PHOTO Maharashtra Government issues guidelines for Bakra Eid 2020

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना संकट के चलते बकरा ईद 2020 को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक, मुस्लिम भाई नमाज मस्जिद या ईदगाह पर अदा न करें, कोविड 19 के कारण सभी धार्मिक कार्यक्रमों पर पाबंदी है। बकरा ईद पर नमाज घर पर ही अदा करें। ऑनलाइन या फोन के जरिये ही जानवरों को खरीदें, मार्केट बन्द रहेंगे। 

कांग्रेस नेता ने सीएम से पूछा कैसे दें प्रतीकात्मक कुर्बानी 

महाराष्ट्र सरकार ने गाइडलाइन में कहा है कि प्रतीकात्मक कुर्बानी दें। कंटेनमेंट जोन में कोई भी सहूलियत बकरा ईद के लिए नहीं रहेगी। बकरा ईद के दिन कहीं पर भी लोग भीड़ न करें। महाराष्ट्र कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री नसीम खान ने कहा, बकरा ऑनलाइन कैसे खरीदे...? प्रतीकात्मक कुर्बानी कैसे दें....? इन दोनों मुद्दों पर सरकार हल निकाले। कई खत लिख चुका हूं मुख्यमंत्री को की प्रतीकात्मक कुर्बानी कैसे दें। 1 अगस्त को बकरा ईद है, तब तक मीटिंग कर निकाले, वरना कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार रहेगा।

क्यों मनाई जाती है बकरीद

दरअसल, इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक इस्लाम में कुर्बानी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस्लाम में इसको लेकर एक किस्सा है। इस्लाम में हजरत इब्राहिम को अल्लाह का पैगंबर बताया जाता है। इब्राहिम ताउम्र दुनिया की भलाई के कार्यों में जुटे रहे, वह समाजसेवा करते रहे। हजरत इब्राहिम को 90 साल की उम्र तक कोई संतान नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने संतान के लिए अल्लाह से दुआ मांगी। फलस्वरूप उनके घर उनके बेटे इस्माइल का जन्म हुआ। इसके बाद अचानक हजरत इब्राहिम को एक सपना आया और उन्हें आदेश दिया गया कि अपने सबसे अजीज चीज की कुर्बानी दें। हजरत इब्राहिम पहले ऊंट की कुर्बानी दी। मगर उनको फिर सपना आया कि अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान कर दो। इस पर इब्राहिम ने अपने सभी जानवर कुर्बान कर दिए लेकिन उन्हें फिर वही सपना आया और सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का आदेश हुआ।

अपने सभी प्यारे जानवर कुर्बान कर देने के बाद भी जब उन्हें आदेश हुआ कि आल्लाह की राह में अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करें तो उन्होंने अल्लाह पर भरोसा रखते हुए अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने का निर्णय लिया और अपनी पत्नी से बेटे को नहलाकर तैयार करने के लिए कहा। उनकी पत्नी ने ऐसा ही किया और इसके बाद फिर इब्राहिम अपने बेटे को लेकर कुर्बानी देने के लिए चल दिए।

हजरत इब्राहिम की निष्ठा को देखते हुए अल्लाह खुश हुए और उनके बेटे की कुर्बानी को उन्होंने बकरे की कुर्बानी में बदल दिया। दरअसल, जब हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की कुर्बानी दी तो उन्होंने अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध ली। कुर्बानी देने के बाद जब उन्होंने आंखों से पट्टी खोली तो इस्माइल को खेलते हुए देखा और इस्माइल की जगह पर एक बकरे की कुर्बानी हो चुकी थी। इस्लामिक मान्यताओं में इसी घटना के बाद से बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है।

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