महाराष्ट्र में आज मंत्रिमंडल की बैठक हुई जिसमें जीबीएस को लेकर काफी गंभीरता से चर्चा हुई है। इस बैठक को लेकर मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर हसन मुश्रीफ ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार द्वारा एसओपी तैयार किया गया है। पुणे और सोलापुर में ही जीबीएस के मामले सामने आए हैं। दूषित पानी की वजह से जीबीएस बीमारी फैल रही है। इस बीमारी से निपटने के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है। केंद्र सरकार की टीम के साथ मिलकर राज्य सरकार की स्वास्थ्य विभाग की टीम काम कर रही है। अधिकारियों द्वारा इसे लेकर कहा जा रहा है कि इस बीमारी से डरने की कोई जरूरत नहीं है।
क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री
वहीं स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने इस बैठक को लेकर कहा कि जीबीएस को रोकने के लिए एसओपी तैयार की जाएगी। दूषित पानी की वजब से जीबीएस जैसी बीमारी होती है। यह संसर्गजन्य रोग नहीं है। सभी महानगरपालिकाओं सहित जिला परिषद स्तर पर भी साफ पानी की आपूर्ति को लेकर नियम बनाए जाएंगे। साफ पानी की आपूर्ति में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि जीबीएस पुणे के एक हिस्से में दिखाई दे रहा है क्योंकि वहां दूषित पानी की आपूर्ति की जा रही थी। लेकिन अब वहां जीबीएस के मामले नहीं बढ़ रहे हैं। यह कोई नई बीमारी नहीं है। यह पुरानी बीमारी है।
क्या है जीबीएस?
बता दें कि महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) बीमारी की दहशत देखने को मिल रही है। पहले राज्य के पुणे से ही गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामले सामने आ रहे थे। हालांकि, पुणे के बाद अब नागपुर में भी इस बीमारी के मरीज बढ़ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, दो मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामले के सामने आने के बाद नागपुर सहित विदर्भ के सरकारी अस्पताल अलर्ट मोड पर आ गए हैं। लोगों को डॉक्टर की सलाह बिना दवाई ना लेने की सलाह दी गई है।
अलर्ट मोड में आई प्रशासन
पुणे के बाद नागपुर में भी गुइलेन बैरे सिंड्रोम के मरीज मिलने के चलते सरकारी अस्पतालों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। वहीं, दूसरी ओर प्रशासन ने भी आवश्यक उपाय योजना के निर्देश दिए हैं। नागपुर के मेडिकल कॉलेज और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में गंभीर अवस्था में दो मरीज पहुंचे हैं जिन्हें उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। बता दें कि जीबीएस इम्यून से जुड़ी एक दुर्लभ बीमारी है। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मरीज के मिलने के बाद नागपुर सहित विदर्भ के सरकारी अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। नागपुर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अविनाश गावंडे ने बताया कि प्रशासन ने इस बीमारी के मरीजों के इलाज के व्यापक के इंतजाम किए हैं।