Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र का सियासी संकट जब शुरू हुआ था, तब किसी ने ये नहीं सोचा था कि उद्धव ठाकरे, शिवसेना और उनकी सरकार की यह हालत हो जाएगी। अब जबकि शिवसेना के 8 मंत्री बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के कैंप में पहुंच चुके हैं। उद्धव ठाकरे अकेले पड़ गए हैं। अब सिर्फ तीन ही मंत्री उद्धव की शिवसेना में बचे हुए हैं। इनमें उनके बेटे आदित्य ठाकरे ही एकमात्र ऐसे मंत्री बचे हैं, जो विधायक हैं। बाकी बचे मंत्री विधान परिषद में चुने हुए हैं। इस तरह इस सियासी लड़ाई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं।
सिर्फ 3 मिनिस्टर उद्धव के साथ
इस संकट की शुरुआत से ही लगभग हर दिन सूरत के रास्ते से शिवसेना का कोई न कोई विधायक या मंत्री गुवाहाटी पहुंच रहा है, जहां के एक होटल में एकनाथ शिंदे और उनके साथ बागी विधायकों के गुट रुका हुआ है। एक एक करके विधायक हों या मंत्री, सभी बागी शिंदे गुट का दामन थाम रहे हैं। अब उद्धव के खेमे में शिवसेना के 3 मंत्री आदित्य ठाकरे, अनिल परब और सुभाष देसाई ही बचे हैं। देसाई और परब विधान परिषद के सदस्य हैं, जबकि एक अन्य कैबिनेट मंत्री शंकरराव गडख क्रांतिकारी शेतकारी पक्ष पार्टी से हैं।
जो समर्थन में नारे लगा रहे थे, वे भी शिंदे गुट में मिले
हालात ये हैं कि जो विधायक उद्धव के समर्थन में खड़े होकर नारे लगाते हैं, वो अगले दिन शिंदे कैंप पर नजर आते हैं। यहां तक कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने जब जिला प्रमुखों और तहसील प्रमुखों की आनलाइन बैठक बुलाई थी। उस बैठक में हिस्सा लेने वाले शिवसेना नेता भी उद्धव का साथ छोड़कर चले गए।
ये 8 मंत्री गए शिंदे खेमे में
दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल, संदीपन भुमरे, उदय सामंत, राज्य मंत्री शंभूराज देसाई, अब्दुल सत्तार, राजेंद्र पाटिल येद्रावकर, बच्चू कडू (प्रहार जनशक्ति), ये 8 मंत्री शिंदे खेमे में जा चुके हैं। उधर, 15 बागी विधायकों ने सदस्यस्ता रद्द करने को लेकर दिए डिप्टी स्पीकर के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस पर आज सुनवाई होगी। शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी में विद्रोह से पहले 10 कैबिनेट रैंक के मंत्री और चार राज्य मंत्री थे, जिनमें से दो शिवसेना कोटे से थे।