महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के विपक्षी नेतावो पर टिप्पणी करते हुए कहा ,इन्हें मैडम की इजाजत बिना नाक खुजलाने की इजाजत नहीं है, वह लोग मुझे दिल्ली की कठपुतली कहते हैं। विपक्ष के चाय पान के बहिष्कार पर महाराष्ट्र के दोनों उपमुख्यमंत्रियों देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार ने कहा कि अगली बार से उनके लिए चाय पान की जगह पान सुपारी का निमंत्रण देना होगा।
एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के विपक्षी नेताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, इन्हें मैडम की इजाजत के बिना नाक खुजलाने की भी इजाजत नहीं है, वह लोग कहते हैं कि मैंने स्वाभिमान गवा दिया है, ये लोग मुझे बोलते हैं कि मैं स्वाभिमान खो दिया हूं, दिल्ली जाता हूं, कठपुतली हूं लेकिन जिन्हें मैडम के आदेश के बिना नाक खुजलाने की भी इजाजत नहीं है ,वह लोग आरोप लगा रहे हैं और स्वाभिमान की बात कर रहे हैं। हम दिल्ली जाते हैं, निधि लाते हैं, केंद्र सरकार ने जो पैसे दिए हैं, मांगे बिना मिलते नहीं है, कोशिश करना पड़ता है, फॉलो करना पड़ता है। कडक सिंह बनकर चलता नहीं है। शिंदे ने आगे कहा कि पिछले ढाई साल में, आपके अहंकार, कहते है कि केंद्र सरकार ने पैसे दिए नहीं, मांगना पड़ता है, आपके अहंकार की वजह से राज्य का नुकसान हुआ है, कई उद्योग बंद पड़ गया, कई प्रकल्प स्थगित हो गए हैं।
अहंकार की वजह से तीन राज्य खो गए
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज विपक्ष ने चाय-पान का बहिष्कार किया है। चाय-पान चर्चा के लिए होता है। विरोधी पक्ष के स्वभाव को देखते हुए अगले वर्ष सुपारी-पान रखना पड़ेगा, मुझे लगता है कि वो तब आएंगे। शीतकालीन अधिवेशन नागपुर में होता है लेकिन विपक्ष के पत्र में विदर्भ और मराठवाड़ा का जिक्र ही नहीं है। विपक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंच पर बैठे कई नेता सो रहे थे, जिस तरीके से तीन राज्य के चुनाव में तीन राज्य सो गए, ऐसा लग रहा है कि पत्र भी उन्होंने नींद में ही लिखा है क्या। मुझे आश्चर्य हुआ कि नागपुर का अधिवेशन विदर्भ के प्रश्नों पर चर्चा हो मराठवाड़ा के प्रश्नों पर चर्चा हो, सही माने में अधिवेशन इसलिए यहां होता है, विरोधी पक्ष के पत्र में विदर्भ मराठवाड़ा की समस्याओं का उल्लेख तक नहीं है।
चाय-पान नहीं अब पान-सुपारी का इंतजाम करना होगा
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विरोधी पक्ष नेताओं की पत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा कि की देवेंद्र फडणवीस भी विरोधी पक्ष नेता रह चुके हैं, एकनाथ शिंदे भी विरोधी पक्ष नेता रह चुके हैं, खुद मैं भी विरोधी पक्ष नेता रह चुका हूं, पत्र उन्होंने जो दिया है उसमें 23 लोगों का नाम है, लेकिन उसमें हस्ताक्षर 7 लोगों का ही है। नाम यदि लिखना था तो 7 लोगों का ही नाम लिखना था। नाम लिखा है वह लोग हाजिर नहीं है, इतने गंभीर है, चाह-पान का विपक्ष ने बहिष्कार किया है, तो हमें लग रहा है कि अगली बार इनके लिए हमारे मन में ऐसा आया है कि अगली बार उनके लिए पान-सुपारी का ही कार्यक्रम रखा जाए।