Highlights
- सीएम शिंदे परिवार के साथ पंढरपुर पहुंचे
- परिवार के साथ किए भगवान विठ्ठल और रुक्मणि के दर्शन
- आषाढ़ी एकादशी के दिन है दर्शन का महत्व
Maharashtra: आज आषाढ़ी एकादशी के दिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पंढरपुर जाकर पूरे परिवार के साथ भगवान विठ्ठल और रुक्मणि के दर्शन किये। महाराष्ट्र के सीएम को पहला मान मिलता है, आज के पवित्र दिन इस मंदिर में दर्शन करने का पूरे महाराष्ट्र में प्रचलन है। पूरे राज्य से लाखों वारकरी भक्त आज पंढरपुर पहुंचकर विठ्ठल भगवान का दर्शन करते हैं। इन वारकरी सम्प्रदाय में संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत नामदेव, संत बहिनाबाई सहित महाराष्ट्र के सभी संतों को मानने वाले सम्प्रदाय के वारकरी भक्त होते हैं जो पैदल सैंकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर आज पंढरपुर पहुंचते हैं। आज चंद्रभागा नदी का पूरा किनारा कुम्भ मेले की तरह लाखों भक्तो से भर जाता है।
आषाढ़ी एकादशी को देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं
10 जुलाई रविवार को यानी आज आषाढ़ शुक्ल एकादशी है। जिसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से काफी लाभ मिलता है। आज से भगवान विष्णु चार महीने तक क्षीर सागर में योग निद्रा में रहेंगे। जिसके चलते अब किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी तक आराम करेंगे। इसके बाद फिर से सभी शुभ काम दोबारा से आरंभ होंगे। ग्रंथों में माना गया है कि देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। उसके सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं। इस व्रत को रखने से निधन के बाद विष्णु जी की कृपा से बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है। इसलिए इस व्रत का काफी महत्व होता है।
देवशयनी एकादशी की व्रत कथा
सूर्यवंश में मान्धाता नामक चक्रवर्ती राजा के राज्य में तीन साल तक बारिश नहीं हुई और अकाल पड़ गया। तब राजा उपाय ढूंढते हुए अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंचे। ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि ने राजा से आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करने को कहा। मुनि की बात सुनकर राजा चक्रवर्ती ने एकादशी का व्रत किया। उस व्रत के प्रभाव से बारिश हुई। अतः इस मास की एकादशी का व्रत को करना चाहिए। यह उपवास इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति प्रदान करता है।