महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग थमने का नाम नहीं ले रही है। इसके लिए समाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पिछले 7 दिनों से अनशन पर बैठे हुए हैं और यह अनशन कब तक चलेगा, अभी इसका कोई अंदाजा भी नहीं है। आरक्षण की मांग की वजह से राज्य में अलग-अलग स्थानों पर कई हिंसक घटनाएं भी हुई हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार यानी 1 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। लेकिन अब इस बैठक को लेकर भी राजनीति तेज हो गई है।
सर्वदलीय बैठक पर संजय राउत का बयान
राज्य में मराठा आरक्षण की वजह से हो रही हिसंक घटनाओं को रोकने और इसका पूर्ण समाधान निकालने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में अलग-अलग पार्टियों के 27 शीर्ष नेताओं बुलाया गया है। मगर हैरान करने वाली बात यह है कि इस बैठक में उद्धव गुट के किसी भी नेता को आमंत्रण नहीं भेजा गया है। इस बात पर उद्धव गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत भड़क गए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर ट्वीट करते हुए लिखा, 'इस सरकार का क्या करें? महाराष्ट्र भले ही जल रहा हो लेकिन उनकी बेशर्म राजनीति जारी है।'
उन्होंने आगे लिखा, 'मराठा आरक्षण पर मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई लेकिन उस बैठक में उद्धव गुट के किसी भी नेता को नहीं बुलाया। शिवसेना (उद्धव गुट) के पास 16 विधायक और 6 सांसद हैं। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। मगर हैरान करने वाली बात है कि जिनके पास सिर्फ 1 विधायक है या जिनका कोई विधायक नहीं है, उन्हें भी निमंत्रण भेजा गया है। मगर हमें नहीं भेजा गया। ठीक है हमें मान नहीं चाहिए लेकिन सवाल का समाधान तो कीजिए। आप मनोज जरांगे की जान बचाइए।'
कल हुई थी कैबिनेट बैठक
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 31 अक्टूबर को कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई थी। मंत्रीमंडल की बैठक में आरक्षण से जुड़े तीन अहम फैसले भी लिए गए। इस बैठक में सबसे पहले जस्टिस संदीप शिंदे की पहली रिपोर्ट को मंजूरी दी गई। बता दें कि उन्होंने मराठवाड़ा के निजामकालीन मराठा कुनबी और कुनबी मराठा के दस्तावेज की जांच की थी।
इसके बाद पिछड़ा वर्ग आयोग अब मराठा समाज की शिक्षा और सामाजिक रूप से पिछड़ा होने की जांच करेंगा। साथ ही आयोग नए सिरे से इम्पेरिकल डाटा इकट्ठा करेगा। आखिरी फैसले के तहत तीन सदस्यीय जस्टिस की सलाहकार समिति गठित की गई है। जस्टिस दिलीप भोसले इस समिति के अध्यक्ष होंगे। वहीं जस्टिस मारोती गायकवाड़, जस्टिस संदीप शिंदे की समिति सरकार को मराठा आरक्षण देने के लिए कानूनी सलाह देगी।
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