मुंबई. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में चार किसानों की हत्या के विरोध में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के तीन सहयोगी दलों द्वारा महाराष्ट्र में आहूत बंद के मद्देनजर मुंबई और पड़ोसी क्षेत्रों में सोमवार को बस सेवाएं प्रभावित रहीं और अधिकतर दुकानें एवं वाणिज्यिक संस्थान बंद रहे।
बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) की बसों और कई पारंपरिक ‘काली-पीली कैब’ के सड़कों से नदारद रहने के कारण लोकल ट्रेनों से यात्रा करने वाले लोगों की उपनगरीय रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ देखी गई। लोकल ट्रेन अपने निर्धारित समयानुसार चल रही हैं।
सत्तारूढ़ गठबंधन के तीन सहयोगियों शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस ने लोगों से अपील की है कि वे किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए बंद का पूरा समर्थन करें। यह बंद रविवार आधी रात से शुरू हुआ। मुंबई में आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानों के अलावा अन्य दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान सुबह बंद रहे।
इस बीच, मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार ने बताया, ‘‘हमारी सेवाएं निर्धारित समयानुसार संचालित हो रही हैं।’’
‘मुंबई टैक्सीमेंस यूनियन’ के महासचिव ए एल क्वाड्रोस ने कहा, ‘‘काली-पीली टैक्सियां चल रही हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है। शहर के हवाई अड्डे के बाहर टैक्सी संचालन प्रभावित नहीं हुई है।’’
शहर में मेट्रो रेल सेवाएं भी सामान्य रूप से संचालित हो रही हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के अधिकारियों ने बताया कि मुंबई से अन्य स्थानों के लिए उसकी बसें निर्धारित समय के अनुसार चल रही हैं और कहीं भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।
शहर में बंद के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया है। इससे अलावा अतिरिक्त यातायात पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं। सत्ताधारी गठबंधन सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं ने पोस्टर और बैनर लेकर ठाणे शहर, नवी मुंबई, कल्याण और वसई कस्बों में मोर्चे निकाले और लखीमपुर खीरी में हुई किसानों की हत्या के विरोध में नारेबाजी की।
स्थानीय नेताओं को कारोबारियों से अपनी दुकानें बंद रखने का अनुरोध करते देखा गया। ‘ठाणे स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन’ ने एक विज्ञप्ति जारी कर किसानों की हत्या किए जाने की निंदा की, लेकिन साथ ही कहा कि उद्योग एवं छोटे व्यापारी बंद के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि वे कोविड-19 से संबंधित प्रतिबंधों के कारण पहले ही काफी नुकसान झेल चुके हैं।