मुंबई: विधानसभा चुनावों के ऐलान के साथ ही महाराष्ट्र की सियासत में उबाल लगातार बना हुआ है। सूबे के 2 सबसे बड़े गठबंधनों, महायुति और महा विकास आघाड़ी में सभी सीटों पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। हालांकि इस मोर्चे पर महायुति फिर भी महा विकास आघाड़ी से बेहतर हालत में नजर आ रही है। मंगलवार को सीट शेयरिंग पर हो रही बैठक के बीच में ही शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत बाहर आ गए और अपनी गाड़ी में बैठकर रवाना हो गए जबकि कांग्रेस और NCP (SP) के नेताओं ने बैठक जारी रखी।
‘MVA में सब ठीक चल रहा है’
संजय राउत से जब MVA में टिकट बंटवारे को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि गठबंधन में सब ठीक चल रहा है। राउत ने कहा, ‘MVA में सब कुछ ठीक है। कल हम प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।’ राउत के साथ ही शिवसेना UBT के लोकसभा सांसद अनिल देसाई भी मीटिंग से बाहर आ गए थे। वहीं, राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे के माहिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का आधिकार है। बता दें कि महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी के घटक दलों में टिकट बंटवारे को लेकर थोड़ी-बहुत उठापटक देखने को मिल रही है।
क्या हुआ MVA की बैठक में?
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि MVA की बैठक में आज भी सीटों को लेकर गतिरोध कायम रहा। शाम करीब 6 बजे शुरू हुई बैठक में नाना पाटोले, बालासाहेब थोराट, संजय राउत, जयंत पाटिल, विजय वाडेट्टिवर, वर्षा गायकवाड़, अनिल देसाई, जयंत पाटिल, जितेंद्र आह्वाड़ सहित कई नेता मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि अभी भी MVA में एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर गतिरोध बना हुआ है और उसे सुलझाने की कोशिश चल रही है। सूत्रों की मानें तो आज उद्धव ठाकरे से जब कांग्रेस नेता बालासाहब थोराट मिले तो उद्धव ने उनसे कहा कि आज ही सब मामला सुलझा लें नहीं तो कल हम अपनी लिस्ट जारी कर देंगे।
राउत के जाने से उठने लगे सवाल
संजय राउत और अनिल देसाई के बैठक के बीच में से ही 10 बजे रात को उठकर चले जाने से कई सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर इतनी अहम बैठक बीच में छोड़कर उद्धव गुट के दोनों नेता क्यों चले गए? क्या आज फिर कांग्रेस और उद्धव गुट में जोरदार बहस हुई? तमाम दावों के बावजूद MVA में सीटों के बंटवारे को लेकर गतिरोध अभी भी बना हुआ है और कुछ भी साफ नहीं हो पाया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या सपा और शेतकारी कामगार पार्टी की तरह उद्धव भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करेंगे?
किन सीटों पर फंसा है पेंच?
सूत्रों की मानें तो उत्तर महाराष्ट्र, विदर्भ और मुम्बई में सीटों को लेकर पेंच फंसा है। सूत्रों के मुताबिक, विदर्भ में दक्षिण नागपुर, रामटेक, वरोरा, चंद्रपुर, कामठी, भंडारा, अमरावती और दरियापुर, मुंबई में घाटकोपर वेस्ट, भाइकला, वर्सोवा, कुर्ला, बांद्रा पूर्व और उत्तर महराष्ट्र में पारोला-ऐरोडल एवं नासिक पश्चिम सीटों पर बात अटकी हुई है। अब ऐसे में सभी की निगाहें बुधवार को होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस पर हैं कि MVA के घटक दलों में मामला सुलझता है कि नहीं।
MVA दफ्तरों में उमड़ रही भीड़
बता दें कि विधानसभा चुनावों के लिए मंगलवार को नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ MVA के सहयोगियों के बीच सीट बंटवारा समझौते को अंतिम रूप देने में देरी से छोटे घटक दलों के बीच चिंता पैदा हो गई है। सीट बंटवारे पर चर्चा जारी रहने के कारण विपक्षी खेमे के भीतर समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, वामपंथी दल और पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी सहित छोटी पार्टियां बेचैन होती जा रही हैं। समाजवादी पार्टी और पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ने तो कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर दी है क्योंकि नॉमिनेशन प्रोसेस शुरू हो गया है, जिसकी अंतिम तिथि 29 अक्टूबर है।
क्यों चिंता में हैं छोटी पार्टियां?
सीट आवंटन में लगातार हो रही देरी से चुनाव में छोटी पार्टियों के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है, इसलिए वे चिंतित हैं। बीते लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में MVA को 48 लोकसभा सीटों में से 31 सीटें मिली थीं, इसलिए छोटी पार्टियां ‘I.N.D.I.A.’ गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं। लोकसभा चुनाव में NDA को सिर्फ 17 सीटों पर जीत मिली थी। लोकसभा चुनावों में MVA के प्रमुख घटक दलों कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और NCP (SP) ने हिस्सा लिया था, वहीं छोटे दलों ने आम चुनाव लड़े बिना ही विपक्षी गठबंधन के प्रचार अभियान का समर्थन कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।