Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी दलों और गठबंधन के उम्मीदवारों का ऐलान हो चुका है और सभी उम्मीदवार अपना नामांकन भी कर चुके हैं। चुनाव प्रचार चरम पर है और रत्नागिरी सीट बेहद अहम बनी हुई है। राज्य की अधिकतर सीटों की तरह यहां भी महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीच सीधा मुकाबला है। हालांकि, मौजूदा हालातों को देखते हुए महायुति का पलड़ा भारी लग रहा है।
महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होना है और 23 नवंबर को नतीजों का ऐलान होगा। इस चुनाव में कुल 9.63 करोड़ मतदाता शामिल होंगे। महाराष्ट्र में असली लड़ाई महायुति गठबंधन और महा विकास अघाड़ी गठबंधन के बीच है। एक तरफ बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी हैं। यही गठबंधन फिलहाल सत्ता में है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस, वसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार) हैं।
मतदान की अहम तारीखें
22 अक्टूबर को चुनाव का ऐलान होने के साथ ही रत्नागिरी सीट पर भी नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। नामांकन की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है। वहीं, 30 तारीख को नामों की छटनी की जाएगी। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख चार नवंबर है। 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। 25 नवंबर तक मतदान पूरा होना जरूरी है।
रत्नागिरी का चुनावी इतिहास
रत्नागिरी विधानसभा सीट 2019 में शिवसेना के खाते में गई थी। शिवसेना के उदय रवींद्र सामंत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुदेश सदानंद मयेकर को 87335 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट जीती थी। रत्नागिरी विधानसभा सीट रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 2024 के लोकसभा चुनावों में, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नारायण राणे ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विनायक भाऊराव राउत को 47858 वोटों के अंतर से हराकर रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी।
जीत का चौका लगाना चाहेंगे उदय
रत्नागिरी में पिछले तीन बार से उदय रवींद्र सामंत विधायक बन रहे हैं। 2019 और 2014 में उन्होंने शिवसेना और 2009 में एनसीपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। 2009 में उनकी जीत का अंतर 8,276 वोट, 2014 में 39427 वोट और 2019 में 87335 वोट रहा था। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और वह जीत का चौका लगाना चाहेंगे। उदय से पहले बालासाहेब पांडुरंग पाटिल का यहां दबदबा था। हालांकि, कांग्रेस या बीजेपी इस सीट पर कुछ खास नहीं कर पाई हैं। अब तक बीजेपी का उम्मीदवार यहां से नहीं जीता है और कांग्रेस को दो जीत 1980 और 1990 में मिली थी।