महाराष्ट्र में चुनाव का ऐलान होने के साथ ही सभी पार्टियां और गठबंधन प्रचार करने और अपनी रणनीति को अमलीजामा पहनाने में लग गए हैं। महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होना है और 23 नवंबर को नतीजों का ऐलान होगा। इस चुनाव में कुल 9.63 करोड़ मतदाता शामिल होंगे। महाराष्ट्र में असली लड़ाई महायुति गठबंधन और महा विकास अघाड़ी गठबंध के बीच है। एक तरफ बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी हैं। यही गठबंधन फिलहाल सत्ता में है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस, वसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार) हैं।
2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को जीत मिली थी। हालांकि, बाद में दोनों के बीच अनबन हो गई। ऐसे में उद्धव ठाकरे की अगुआई में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाई। हालांकि, कुछ समय बाद एनसीपी और शिवसेना में फूट पड़ गई। दोनों दल के अधिकतर विधायकों ने बीजेपी के साथ मिलकर एकनाथ शिंदे को समर्थन दिया और राज्य में सरकार बदल गई।
मतदान की अहम तारीखें
22 अक्टूबर को चुनाव का ऐलान होने के साथ ही परली में भी नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। नामांकन की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है। वहीं, 30 तारीख को नामों की छटनी की जाएगी। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख चार नवंबर है। 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। 25 नवंबर तक मतदान पूरा होना जरूरी है।
परली का चुनावी इतिहास
परली विधानसभा सीट 2009 में अस्तितिव में आई। इससे पहले इस सीट का अधिकतर हिस्सा श्रीरामपुर सीट में था। यहां लंबे समय तक गोपीनाथ मुंडे का दबदबा रहा है। फिलहाल यहां से एनसीपी के धनंजय मुंडे विधायक हैं। वह 2019 विधानसभा चुनाव शरद पवार की पार्टी एनसीपी के टिकट पर जीत थे। हालांकि, इस चुनाव में यह पार्टी शरद पवार की नहीं है। महाराष्ट्र की राजनीति में इन बड़े बदलावों के चलते चुनाव में काफी रोमांच बना हुआ है।
इस सीट पर 2009 में पहली बार चुनाव हुए और गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे को जीत मिली। उन्होंने 2014 में भी बीजेपी के ही टिकट पर जीत हासिल की। हालांकि, 2019 में उन्हें हार झेलनी पड़ी। इस बार बीजेपी और एनसीपी के लिए इस सीट पर उम्मीदवार का चयन मुश्किल होगा। यहां का पुराना रिकॉर्ड देखें तो श्रीरामपुर सीट पर 1978 से दो बार बीजेपी और पांच बार कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली है।