महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 शिवड़ी सीट पर शिवसेना (UBT) के अजय चौधरी और मनसे के बाला नंदगांवकर के बीच कांटे की टक्कर है। पुराना रिकॉर्ड देखें तो अजय चौधरी का पलड़ा भारी नजर आता है, लेकिन 2019 विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की पार्टियों में जो फूट हुई है, उससे समीकरण बदले हैं। ऐसे में बाला नंदगांवकर के पास भी जीत हासिल करने का मौका है। बाला नंदगांवकर 2009 में इस सीट से विधायक बने थे। इसके बाद से यहां शिवसेना के अजय चौधरी का कब्जा है।
महाराष्ट्र की विधानसभा सीट संख्या 183 (शिवड़ी) मुंबई जिले में है। राज्य की सभी 288 सीटों पर एक चरण में मतदान होना है। ऐसे में शिवड़ी में भी 20 नवंबर को मतदान होना है और 23 नवंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे।
शिवड़ी सीट से जुड़े आंकड़े
शिवड़ी में 2519586 मतदाता हैं, जिनमें 1355982 पुरुष और 1163374 महिलाएं हैं। यहां 230 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं। चुनाव आयुक्त के अनुसार, शिवड़ी में 263 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
शिवड़ी का चुनावी इतिहास
2019 के विधानसभा चुनावों में, शिवसेना उम्मीदवार अजय विनायक चौधरी ने 39337 मतों के अंतर से शिवड़ी सीट जीती थी। 2019 के विधानसभा चुनावों में शिवड़ी निर्वाचन क्षेत्र में 274503 पंजीकृत मतदाता थे, लेकिन केवल 131353 वोट पड़े थे। कुल 47.9% मतदान हुआ था। इससे पहले 2014 में भी शिवसेना के अजय चौधरी की जीत हुई थी। 2009 में मनसे के बाला नंदगांवकर विधायक बने थे। वहीं, 2004 में एनसीपी के दुर्रानी अब्दुल्ला खान को जीत मिली थी। इससे पहले 1990 से 1999 तक शिवसेना के लहें हरिभाउ विठलराव यहां से विधायक बने। 1978 और 1980 में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी।
2019 विधानसभा चुनावों में क्या हुआ था?
अक्टूबर 2019 में हुए महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल किया था, लेकिन गठबंधन में दरार के कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने एनडीए छोड़ दिया और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर एक नया गठबंधन, महा विकास अघाड़ी बनाया। इस गठबंधन ने सरकार बनाई और उद्धव मुख्यमंत्री बने। हालांकि, कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। 2022 में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ उद्धव के नेतृत्व वाली पार्टी छोड़ दी और भाजपा से हाथ मिला लिया, जिससे एमवीए सरकार गिर गई और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा के महायुति गठबंधन की सरकार बन गई। शिंदे को मुख्यमंत्री चुना गया।
एक साल बाद, अजित पवार ने भी शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के खिलाफ बगावत कर दी। वह पार्टी के कई सदस्यों के साथ, महायुति में शामिल हो गए, जिससे राज्य के भीतर दो बड़े गुट बन गए। पहला है एमवीए, जिसमें शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (एसपी), कांग्रेस शामिल हैं, और दूसरा है महायुति, जिसमें भाजपा, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल हैं।