लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए गठबंधन के साथी व एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने बारामती में चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के हिस्से आया मुख्यमंत्री का पद भी कांग्रेस को दे दिया। अगर मुख्यमंत्री पद शरद पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस के पास रखा होता तो शायद वे मुख्यमंत्री बन सकत थे या उस वक्त पार्टी में कोई और भी बन सकता था। 2004 में मौका आया था। मेरे नसीब में होता तो मैं भी मुख्यमंत्री बन सकता था। इस दौरान उन्होंने कहा कि जैसे चार दिन सास के होते हैं, वैसे ही चार दिन बहु के भी आते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि इस बार वे बहू यानी सुनेत्रा को पवार को चुनें ना कि बेटी सुप्रिया सुले को।
अजित पवार ने शरद पवार पर साधा निशाना
अजित पावर ने आगे कहा कि जब तक शरद पावर चुनाव लड़ते थे, तब तक बारामती की जनता ने उन्हें भारी मतों से जीत दिलाई। कुछ वर्षों बाद उन्होंने खुद फैसला लिया कि अब वे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे और राज्यसभा जाएंगे। फिर उन्होंने एक साल पहले हमें कहा कि अब वे संगठन के पद से हट जाना चाहते हैं और हमें संगठन को आगे बढ़ाने के लिए कहा। हममे से जो नेता थे, जिनमें प्रफुल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, नरहरि झिरवाल ने उनके इस फैसले को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि शरद पवार ने आज तो जो भी फैसले लिए, मैंने स्वीकार किया और उनके आदेश का पालन करता रहा।
सुप्रिया सुले पर बरसे अजित पवार
अजित पवार ने कहा कि शरद पवार फॉर्म भरकर जाते थे और आखिरी सभा के वक्त ही आते थे, बाकी की सारी जिम्मेदारी मैं निभाता था। लेकिन अब राजनीतिक हालात बदल चुके हैं। मेरे सामने इस बारामती लोकसभा क्षेत्र और राज्य के सामने भी कई समस्याएं हैं। केंद्र ने जिनकी सत्ता आनी है। अगर उनके विचारधारा का सांसद आपने चुनकर नहीं भेजा तो लोकसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हो पाएगा। यहां उपस्थित आपमें से कोई भी बताए कि आपने जिन्हें सांसद चुनाव है, वो केंद्र सरकार की कौन सी योजना पिछले 10 सालों में लेकर आई हैं। केंद्र में सत्ता न होने की वजह से विकास कार्य नहीं हो सके। दस साल रुकना सही नहीं है। क्योंकि वक्त किसी के लिए नहीं रुकता है।