मुंबई: पूरे देश के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी लोकसभा चुनावों को लेकर हलचल अपने पूरे शबाब पर है। पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार का चुनाव काफी अलग है क्योंकि जहां एक तरफ शिवसेना और NCP के दो-दो धड़े हो चुके हैं, वहीं अजित पवार जहां बीजेपी के साथ है तो उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी के साथ मैदान में उतरने का फैसला किया है। लोकसभा चुनावों में अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP किस तरह आगे बढ़ रही है, इसी बारे में जानने के लिए इंडिया टीवी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल से बात की। आगे पढ़ें पूरी बातचीत:
प्रश्न: इस चुनाव में आप लोगों के साथ पवार साहब का मार्गदर्शन नहीं है।
प्रफुल्ल पटेल: हमें मोदी जी के साथ काम करना है। पवार साहब भी कई बार साथ आने की बात करते थे हालांकि वह बाद में मुकर गए। मोदी जी ने गरीब लोगों तक सरकारी नीतियां पहुंचाई हैं चाहे वह जनधन हो, उज्ज्वला हो, किसान सम्मान निधि हो या फिर आयुष्मान कार्ड हो।
प्रश्न: आप पवार साहब की चुनावी रणनीति के बिना मैदान में है।
प्रफुल्ल पटेल: पवार साहब के साथ जब तक मैं था, मैंने भी उन्हें पूरा सम्मान दिया और उन्होंने भी पूरा सम्मान दिया लेकिन कभी-कभी राजनीति में ऐसा होता है कि रास्ते अलग हो जाते हैं और वही हुआ है। वह भी शिवसेना के साथ गए थे। वो शिवसेना जिसके बाला साहब ठाकरे बोलते थे कि मेरे शिवसैनिकों ने बाबरी मस्जिद तोड़ी, उनके शिवसैनिकों ने मुंबई के दंगों में माइनॉरिटी के साथ वारदातें की, इन्हीं शिवसैनिकों ने भारत पाकिस्तान मैच के दौरान पिच खोदी थी और अगर हम उनके साथ जा सकते हैं तो शिवसेना का जो पारंपरिक पार्टनर है बीजेपी उसके साथ क्यों नहीं जा सकते? यह कोई हजम होने वाली बात नहीं है।
प्रश्न: पीएम मोदी ने टारगेट दिया है 400 पार का। महाराष्ट्र से आप लोग कितनी सीटें उस आंकड़े में जोड़ने वाले हैं?
प्रफुल्ल पटेल: बहुत अच्छा प्रदर्शन हमारा महाराष्ट्र में रहेगा। पिछली बार 41 सीटें जीती थीं, उससे कम तो नहीं होंगी। एक-दो सीट ज्यादा ही होगी।
प्रश्न: महा विकास अघाड़ी ने अपनी सीटों की घोषणा कर दी। महायुति में अब तक सीट एडजस्टमेंट नहीं हो पाया है।
प्रफुल्ल पटेल: महा विकास अघाड़ी ने घोषणा जरूर कर दी है लेकिन अभी भी आपस में सीटों को लेकर लड़ रहे हैं। जहां तक हमारी बात है एनसीपी हो या फिर एकनाथ शिंदे जी हो, हम पहली बार पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए मंथन ज्यादा हो रहा है। फैसला हो जाएगा, बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं होने वाली।
प्रश्न: नासिक और सतारा एनसीपी लड़ रही है कि नहीं, क्योंकि सतारा में तो उदयन राजे भोसले का नाम बीजेपी ने घोषित कर दिया है?
प्रफुल्ल पटेल: मेरे हिसाब से भी अंतिम चर्चा होना बाकी है। सतारा के पर्याय के रूप में हमें दूसरी जगह जरूर मिलेगी। हमारे सम्मान को नजरअंदाज करके कोई भी फैसला नहीं लिया जा रहा?
प्रश्न: क्या बारामती के चुनाव परिणाम तय करेंगे की असली एनसीपी किसके पास है, जनता किसके साथ है, असली पवार कौन है?
प्रफुल्ल पटेल: वोटर विकास को अगर ध्यान में रखेंगे तो अजीत पवार के साथ ही रहेंगे और बारामती में हम जीतेंगे। बारामती की एक सीट को लेकर हम ऐसे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते। अगर आप देखेंगे तो 40 से ज्यादा विधायक हमारे साथ हैं। उन्होंने अपना भविष्य देखा होगा कि किसके साथ सुरक्षित है तभी अजीत पवार के साथ आए हैं। अब इसके बाद असली एनसीपी किसके पास है इसका फ़ैसला होना बाकी नहीं रह गया है।
प्रश्न: शरद पवार ने कहा कि सुनेत्रा पवार असली पवार नहीं हैं?
प्रफुल्ल पटेल: शरद पवार के इस बयान को सुनकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि बेटी हमारी जो ब्याह करके दूसरे घर में जाती है तो वह उसी के घर के हो जाती है या बेटी किसी की भी हमारे घर में आती है तो हम उसको वही दर्जा देते हैं जैसे हम अपनी बेटी को देते हैं। ऐसे में पवार साहब का यह कहना बिल्कुल ठीक नहीं है।
प्रश्न: सुप्रिया सुले आजकल अपने भाषणों में बार-बार इस बात का जिक्र करती हैं कि उनके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। क्या इसके जरिए वह अजित पवार पर तंज कसती हैं?
प्रफुल्ल पटेल: बिल्कुल ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि कल तक अजीत पवार आपके साथ थे और वह भ्रष्टाचारियों थे फिर भी आप भ्रष्टाचारियों को अपने साथ रखे हुए थे? खुद को कैरक्टर सर्टिफिकेट किसी को नहीं देना चाहिए।
प्रश्न: सुप्रिया सुले कहती हैं कि भाजपा ने उनकी पार्टी और परिवार दोनों को तोड़ दिया?
प्रफुल्ल पटेल: यह सब फिजूल के आरोप हैं।
प्रश्न: अमित शाह ने कहा कि पुत्री मोह में एनसीपी टूट गयी।
प्रफुल्ल पटेल: अमित शाह ने ये बात कही है तो अपने तरीके से कही होगी, लेकिन यह बात भी सही है कि जब भी हम पार्टी में कोई फैसला करते हैं तो लार्जर इंटरेस्ट में करना चाहिए। जैसे अभी हम अलग हुए तो सब लोगों से बात करके अलग हुए।
प्रश्न: प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के चुनाव प्रचार या देश के प्रति जो अप्रोच है उसमें क्या अंतर देखते हैं?
प्रफुल्ल पटेल: राहुल गांधी के भाषण के मुद्दे में सिर्फ दूसरे को दोष देना होता है। उनके पास न कोई प्लान है, न कोई विजन है। दोषारोपण करना सबसे आसान काम है और वही राहुल करते हैं। यही वजह है लोग उन पर विश्वास नहीं कर रहे हैं।
प्रश्न: 2014 में एनसीपी ने बीजेपी को क्यों सपोर्ट किया?
प्रफुल्ल पटेल: मैंने खुद शरद पवार के घर के बाहर अनाउंस किया था कि हम बीजेपी को सपोर्ट करेंगे और वह भी बिना शर्त और बाद में हमने स्पीकर के चुनाव में विधानसभा के अंदर साथ भी दिया था। ये बात बिल्कुल सच है। उस वक्त हमने बीजेपी का साथ देने का फैसला किया था। तब शरद पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र में आज स्टैबिलिटी नहीं है तो हमें स्टैबिलिटी लानी चाहिए और प्रगतिशील पार्टी है बीजेपी इसलिए उनके साथ जाना चाहिए।
प्रश्न: क्या कांग्रेस को सत्ता से दूर रखना भी इसके पीछे एक कारण था?
प्रफुल्ल पटेल: कांग्रेस में NCP के साथ कब न्याय किया है? 2004 में हमारे 71 MLA थे और उनके पास 69 थे लेकिन कांग्रेस ने इतनी जिद और अड़ंगेबाजी की कि उनका ही मुख्यमंत्री बना। इसका बदला तो नहीं था लेकिन कभी तो जवाब देना पड़ता है और आइना दिखाना पड़ता है।
प्रश्न: 2019 में अजीत पवार के सुबह-सुबह शपथ लेने के पीछे क्या कहानी है?
प्रफुल्ल पटेल: हमारी बात बीजेपी से चल रही थी और बीजेपी और शिवसेना से गठबंधन टूट गया था। उसके बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया। इस दौरान शिवसेना से बात होने लगी। शिवसेना से जब बात हुई, वह भी बड़ा बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण था क्योंकि हमें आधे-आधे टर्म के लिए मुख्यमंत्री की बात करनी चाहिए थी, जो नहीं हो पाया। जब हम बीजेपी से बात कर रहे थे और जब उन्होंने शिवसेना से गठबंधन तोड़ने का फैसला किया और अजित पवार का समर्थन लिया तो इतना बड़ा फैसला अकेले तो नहीं लिया जाता। बैकग्राउंड में बातें हुई थीं और उसके बाद ही अजित पवार ने शपथ लिया था।
प्रश्न: शरद पवार क्या रीजन बताते हैं? कभी बीजेपी के साथ, कभी कांग्रेस के साथ और कभी शिवसेना के साथ जाने पर क्या कहते हैं?
प्रफुल्ल पटेल: पवार साहब के साथ दिक्कत यह है कि कई बार जब अहम फैसले लेने की जरूरत रहती है तो वह अपनी भूमिका बदल देते हैं।
प्रश्न: 2023 में जब आप लोग अलग हो गए तो क्या उसके बाद भी शरद पवार आप लोगों के साथ आने को तैयार थे?
प्रफुल्ल पटेल: हमारे अलग होने के बाद 2 बार शरद पवार हम लोगों से मिले और पॉजिटिव चर्चा थी। अगर उन्हें हम लोगों की भूमिका से इतना दुख था तो आगे बात ही क्यों करनी थी।