Highlights
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को सोमैया को एक मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था।
- सोमैया पर विमान वाहक पोत विक्रांत को कबाड़ में जाने से बचाने के लिए इकट्ठे किये गये धन का दुरुपयोग करने का आरोप है।
- पहली बार बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्य के झूठी प्राथमिकी दायर करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया गया है: सोमैया
मुंबई: भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर बुधवार को उन्हें ‘झूठे मामले’ में फंसाने की कोशिश में शामिल होने का आरोप लगाया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को सोमैया को एक मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था जिसमें उन पर नौसेना की सेवा से हट चुके विमान वाहक पोत विक्रांत को कबाड़ में जाने से बचाने के लिए इकट्ठे किये गये धन का दुरुपयोग करने का आरोप है।
‘कुछ काम करने के लिए लापता होना पड़ता है’
सोमैया ने दावा किया, ‘पहली बार बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्य के झूठी प्राथमिकी दायर करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया गया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुझे गलत तरह से फंसाने में सीधे तौर पर शामिल हैं। मैं उद्धव ठाकरे को चेतावनी देना चाहता हूं कि मैं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा जब तक उनके परिवार के सदस्यों और करीबियों के भ्रष्ट आचरण को उजागर नहीं कर देता।’ सोमैया ने दावा किया कि उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निराधार है। पिछले कुछ दिन में अपने अते-पते के बारे में पूछे जाने पर बीजेपी नेता ने कहा, ‘कुछ काम करने के लिए लापता होना पड़ता है।’
सोमैया को पुलिस जांच में सहयोग करने का निर्देश
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमैया को गिरफ्तारी से बुधवार को अंतरिम राहत दे दी। जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की एकल पीठ ने कहा कि मामले में गिरफ्तारी की स्थिति में सोमैया को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया जाए। जस्टिस प्रभुदेसाई ने सोमैया को मामले में पुलिस की जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया। साथ ही, सोमैया को 11 से 18 अप्रैल के बीच 4 दिन जांच अधिकारी (IOA) से पूर्वाह्न 11 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे के बीच संपर्क करने को भी कहा।
सोमैया पर 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा हाई कोर्ट
हाई कोर्ट सोमैया की याचिका पर 2 सप्ताह बाद 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा। बता दें कि पूर्व सांसद सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया के खिलाफ यहां ट्रॉम्बे थाने में 6 अप्रैल को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह मामला सेना के एक पूर्व कर्मी की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिन्होंने दावा किया था कि किरीट सोमैया ने विक्रांत के रख-रखाव के लिए 2013 से लोगों से 57 करोड़ रुपये जुटाये थे। शिकायत में दावा किया गया कि प्रारंभिक योजना के अनुसार इस धन का न कभी इस्तेमाल किया गया और ना ही राज्यपाल के कार्यालय में इसे जमा किया गया।