मुंबई: पूरे देश में दिवाली की धूम है। चारों तरफ दिए, लाइटें प्रज्वलित हो रही हैं। छुट्टियाँ शुरू हो चुकी हैं। लोग अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। जगह-जगह पर दीपोत्सव के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इसी क्रम में आज शुक्रवार को मनसे नेता राज ठाकरे ने भी हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अथिति के तौर पर मशहूर लेखक जावेद अख्तर और सलमान खान के पिता सलीम खान आए हुए थे। इन दोनों लेखकों की जोड़ी सार्वजनिक मंच पर बड़े वर्षों के बाद दिखी।
इस कार्यक्रम के दौरान जावेद अख्तर ने मंच से कहा कि राम और सीता उनके लिए आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि रामायण केवल हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ नहीं है बल्कि वह देश की धरोहर है। इसी दौरान वहां मौजूद भीड़ 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगी। इसी दौरान जावेद अख्तर ने कहा, "राम सीता की जोड़ी आज के समय के लिए एक आदर्श वैवाहिक जोड़ी है। राम को सीता से केवल रावण ने अलग किया और इसलिए हमें 'जय सियराम' का उद्घोष करना चाहिए। इसके बाद भी उन्होंने जय सियाराम का उद्घोष किया और वहां मौजूद लोगों से भी इसे दोहराने को कहा।
'देश में जो लोकतंत्र कायम है वह हिन्दू संस्कृति की वजह से'
इसके बाद जावेद अख्तर ने हिंदू संस्कृति की तारीफ़ करते हुए कहा कि आज देश में जो लोकतंत्र कायम है वह हिन्दू संस्कृति की वजह से ही है। उन्होंने कहा, "ये सोचना कि हम ही सही हैं और दूसरे गलत ये हिन्दू संस्कृति का हिस्सा नहीं है।" उन्होंने कहा कि असहिष्णुता आज बढ़ रही है। पहले कुछ लोग थे जो असहिष्णु थे। हिंदू वैसे नहीं थे। हिंदुओं की सबसे बड़ी खासियत यही रही है कि उनकी सोच विशाल रही है। यदि ये खासियत खत्म हो गई तो वे भी दूसरे लोगों की तरह हो जाएंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए।
'हिंदुओं की वजह से ही देश में लोकतंत्र कायम'
जावेद अख्तर ने कहा कि अगर आज भारत में लोकतंत्र कायम है तो इसमें सबसे बड़ा हाथ हिंदू संस्कृति का भी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज देश में असहिष्णुता बढ़ रही है, लेकिन लोकतंत्र भी इसी वजह से कायम है क्योंकि असहिष्णुता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी इस बात पर अब भी कायम हूं कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी खत्म हुई है। यदि आज हम शोले लिख रहे होते तो मंदिर में एक्ट्रेस के साथ धर्मेन्द्र के डायलॉग पर बवाल मच जाता। लेकिन पहले ऐसा नहीं था।