यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर जमीयत उलेमा और AIMPLB की तरफ से एक सुर में विरोध देखने को मिल रहा है। ऐसे में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड UCC के ड्राफ्ट के खिलाफ लामबंदी के लिए विपक्षी दलों के नेताओं, दूसरे धार्मिक-सांस्कृतिक समुदायों और आम मुसलमानों से बातचीत कर रहा है। बोर्ड ने देश की तमाम मस्जिदों के इमामों से अपील की है कि वे जुमे की नमाज से पहले अपने भाषण में मुसलमानों को पर्सनल लॉ के महत्व के बारे में बताएं और UCC के ड्राफ्ट के खिलाफ लॉ कमिशन को अपनी राय भेजें। इसके लिए मुंबई के कुरार में मस्जिद के बाहर स्कैनर भी लगाया गया था ताकि लोग UCC का विरोध जतांए। आज जुम्मे की नमाज के दिन के तकरीर में जमात को यूसीसी के बारे में बात करने के बाद जमीयत उलमा की तरफ से फतवा जारी किया गया है।
"UCC को लागू नहीं होने देंगे"
मुंबई के जुमा मस्जिद पर इंडिया टीवी की टीम जुम्मे की नमाज के दौरान पहुंची तो तकरीर में जमात को इस्लाम का संदेश दिया जा रहा था, यूसीसी को लेकर कोई बात नहीं की गई। टीम ने जब नमाज़ के बाद जमात से बात की तो यूसीसी को लेकर ज्यादातर लोगों ने ऐसा रिएक्ट किया जैसे सुन ही नहीं रहे हैं। काफी देर बाद जब हमने फिर से कोशिश की तो लोगों ने बात करना शुरू किया। बात करते वक्त अधिकतर लोगों ने गुस्से में कहा कि UCC को लागू नहीं होने देंगे। हम इस्लाम वाले हैं आप अलग हैं हम एक कैसे हो सकते है? कइयों ने कहा किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए कुछ लोगों ने कहा 70 सालों तक सो रहे थे क्या? अन्य ने कहा सिर्फ राजनीति हो रही है। कइयों ने तो शादी और तलाक के तरीकों पर बात की।
"कही-सुनी बात पर किसका विरोध"
इतना ही नहीं हमने जब मस्जिद के ट्रस्टी से भी UCC पर सवाल पूछा तो मौलाना शोएब खतिब ने सीधे तौर पर कहा कि जब कोई चीज़ सामने आई ही नहीं है तो कही-सुनी बात पर किसका विरोध करें। आप नाराजगी जता सकते हैं, लेकिन विरोध किस बात का? अगर देश में कुछ सही नहीं होगा तो कानून और कोर्ट तो है ही। कुछ लोगों और संगठन की बात को तव्वजो नहीं देनी चाहिए।