
मुंबई: महाराष्ट्र में सियासत दिलचस्प मोड़ ले रही है। सत्तारूढ़ माहायुति गठबंधन के नेता अब आंख दिखाने वाली पॉलिटिक्स पर उतर आए हैं। बीजेपी सांसद नारायण राणे ने एनसीपी नेता और डिप्टी सीएम अजित पवार के मुस्लिम भाइयों को आंख दिखाने वाले बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा-लगता है कि अजित पवार ने आंख चेक करने का नया धंधा शुरू कर दिया है।
मुस्लिम भाइयों को आंख दिखाने वालों को नहीं बख्शेंगे-अजित पवार
दरअसल, अजित पवार ने शुक्रवार को मुंबई में पार्टी के इफ्तार समारोह में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों को आश्वासन दिया कि कोई भी उन्हें आंख दिखाएगा तो वे उसे नहीं बख्शेंगे। अजित पवार ने कहा-'जो भी मुस्लिम भाइयों को आंख दिखाएगा, दो समूहों के बीच संघर्ष भड़काकर कानून व्यवस्था को बाधित करेगा, तथा कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करेगा, चाहे वह कोई भी हो, उसे किसी भी हालत में बख्शा या माफ नहीं किया जाएगा।'
एनसीपी अजित पवार गुट की तरफ से मुंबई के इस्लाम जिमखाना में मुसलमानों के पाक माह रमज़ान पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। इस मौके पर अजित पवार, प्रफुल पटेल, सुनील तटकरे , छगन भुजबल, सना मलिक, नवाब मलिक सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। इसके मौके पर भारी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग भी मौजूद थे।
बीजेपी सांसद नारायण राणे ने किया पलटवार
अजित पवार के इसी बयान को लेकर नारायण राणे से सवाल किया गया था। जिसके जवाब में नारायण राणे ने कहा-'लगता है अजीत पवार ने आंख चेक करने का नया धंधा शुरू किया है।' वहीं बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा सांसदों को फिटनेस पर ध्यान देने की सलाह से जुड़े सवाल पर राणे ने कहा- 'मेरी उम्र 65 साल से ज़्यादा है पर मैं फिट हूं, ना मेरा वजन बढ़ा है । मैं डायट पर ध्यान देता हूं, ज़्यादा ऑयली नहीं खाता हूं। वहीं नागपुर हिंसा मामले पर नारायण राणे ने कहा- पुलिस इस मामले में अपनी जांच कर रही है। पुलिस को जांच करने दें, जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी।
बता दें कि हाल ही में अजित पवार ने अपने कैबिनेट सहयोगी नितेश राणे द्वारा मुसलमानों के संबंध में दिए गए बयान को ‘‘भ्रामक’’ करार दिया था और राज्य के नेताओं को संयम बरतने की सलाह दी थी। नितेश राणे ने कहा था कि मुसलमान छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना का हिस्सा नहीं थे। जब अजित पवार से राणे की इस टिप्पणी के संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नेताओं को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके द्वारा सार्वजनिक रूप से दिए गए बयानों से सांप्रदायिक तनाव पैदा न हो।