नागपुर: भारतीय रेलवे से हर दिन लाखों की संख्या में यात्री अपनी मंजिल पर पहुंचते हैं। इस दौरान वह रेलवे स्टेशनों पर बिकने वाले रेल नीर (पानी की बोतल) को भी खरीदते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो 'रेल नीर' की पानी की बोतल आप पी रहे हैं, वो असली है या नकली? दरअसल महाराष्ट्र के नागपुर में आरपीएफ ने एक ऐसे ही गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो कचरे में पड़ी बोतलों को सील बंद कर गंदे पानी को रेल यात्रियों को बेचता है। ये लोग 'रेल नीर' को ड्रम में बनाते थे। इनके पास से अलग-अलग कंपनियों की पानी की भरी बोतलें भी बरामद हुई हैं। यानी रेल नीर के अलावा ये लोग अन्य कंपनियों के नाम पर भी ये गोरखधंधा चला रहे थे।
गैंग चलाने वालों को आरपीएफ ने फिल्मी स्टाइल में धर दबोचा
नागपुर सेंट्रल रेलवे की आरपीएफ ने दो आरोपियों को हिरासत में लेकर अशुद्ध पानी और खाली बोतल जब्त की हैं। रेलवे सुरक्षा बल की स्टेशन पोस्ट में गंदी बोतलों में अशुद्ध पानी बेचकर यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने वाले युवकों को करीब आधा किलोमीटर पीछा करके फिल्मी स्टाइल में दबोचा गया। जबकि इनका एक साथी फरार बताया जा रहा है।
आरपीएफ ने मौके से रेल नीर, समेत अन्य ब्रांड की अशुद्ध पानी से भरी बोतलें जब्त की हैं। वहीं 2 ड्रम, कई खाली बोतलें, नीले और सफेद रंग के ढक्कनों को भी जब्त किया गया है। आरपीएफ को यह सूचना मिली थी कि नागपुर हावड़ा रूट पर मोमिनपुरा परिषद में शिव मंदिर के पास झाड़ियों में फेंकी गई बोतलों में अशुद्ध पानी बेचकर आउटर पर रुकी ट्रेनों में बेचा जाता है। आरपीएफ के जवानों को देखते ही आरोपी इरफान पानी का ड्रम लेकर भागने लगा। आरपीएफ जवानों ने उसका पीछा किया तो वह ड्रम छोड़कर भागने लगा, लेकिन करीब आधा किलोमीटर के बाद उसे धर दबोचा गया।
पूछताछ में आरोपी ने आरपीएफ के जवानों को बताया कि वह कचरा चुनने वालों से खाली बोतल खरीदता है और बाजार से नए ढक्कन खरीदकर नल, कुआं, हैंडपंप या कहीं और से पानी भरता है और बोतलों को सील बंदकर यार्ड में, सिग्नल की वजह से खड़ी होने वाली गाड़ियों में 15 से 20 रुपए प्रति बोतल यात्रियों को बेचता है।
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