
नई दिल्ली: शिवसेना के एक सांसद नरेश म्हस्के ने बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस और शिवसेना (उबाठा) पर जमकर प्रहार किया और कहा कि वे औरंगजेब के बारे में बातें करते हैं, ऐसे में उनके गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ नहीं, बल्कि ‘‘औरंगजेब फैन क्लब’’ होना चाहिए। हालांकि, उनकी इस टिप्पणी पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई। शिवसेना के नरेश म्हस्के ने कांग्रेस के शासनकाल में सहकार के नाम पर भ्रष्टाचार किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘जहां हमारे समय (भाजपा नीत राजग सरकार के दौरान) में सहकार से समृद्धि आ रही है, वहीं कांग्रेस के शासनकाल में किसानों के पैसे लूट कर सहकार को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया था।’’
देश को खोखला करने का काम किया: नरेश महस्के
त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए म्हस्के ने आरोप लगाया, ‘‘वे औरंगजेब की बातें करने वाले लोग हैं। जिस तरह औरंगजेब ने ‘जजिया’ कर लगा कर हिंदुओं को खत्म करने का काम किया, उसी तरह कांग्रेस और (शिवसेना) उबाठा ने महाराष्ट्र में अनगिनत घोटाले कर देश को खोखला करने का काम किया।’’ शिवसेना सदस्य ने कहा, ‘‘मुझे तो लगता है कि इसका नाम ‘इंडी’ (विपक्षी गठबंधन) नहीं, ‘औरंगजेब फैन क्लब’ होना चाहिए।’’ उनकी इस टिप्पणी पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई।
देश में जो भी होगा गुजरात में होगा: अरविंद सावंत
शिवसेना़ (उबाठा) सदस्य अरविंद सावंत ने औरंगजेब का जिक्र किये जाने की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने कहा है कि हमारा देश शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति कर रहा, ऐसे में अब (विधेयक पर चर्चा में) औरंगजेब कहां से आ गया।’’ इससे पहले, चर्चा में हिस्सा लेते हुए सावंत ने विधेयक का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘इसका (विश्वविद्यालय) संचालन लोकतांत्रिक होना चाहिए, लेकिन आजकल संघवाद ही खत्म हो रहा, सब कुछ गुजरात और सब कुछ दिल्ली ही है.
।’’ उन्होंने विश्वविद्यालय के नाम का संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘आजकल देश में जो भी होगा गुजरात में होगा, महाराष्ट्र से जितने भी कारखाने जाएंगे, गुजरात में जाएंगे।’’ उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना गुजरात के आणंद में किये जाने पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘देश में आजकल सब कुछ ‘आनंद’ ही ‘आनंद’ चल रहा है।’’
महाराष्ट्र में पहले से जो कानून है उसका क्या होगा?
सावंत ने महाराष्ट्र के गांवों में विकास सोसाइटी, कृषि उत्पाद के लिए विकास सोसाइटी, दुग्ध खरीद केंद्र होने का उल्लेख करते हुए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘अगर महाराष्ट्र में यह विश्वविद्यालय स्थापित किया जाता तो हमें और ‘आनंद’ होता।’’ उन्होंने सवाल किया कि क्या यह विधेयक कानून का रूप लेने पर पूरे देश में लागू होगा। उन्होंने जानना चाहा, ‘‘महाराष्ट्र में पहले से जो कानून है उसका क्या होगा? क्या वह कानून रद्द किया जाएगा और नया कानून पूरे देश में लागू किया जाएगा? कांग्रेस के एम.के.राघवन ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए सवाल किया कि विधेयक लाने का सरकार का क्या इरादा है। उन्होंने कहा कि विधेयक का मसौदा तैयार करने में तर्कसंगत विचार-विमर्श नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन करता है। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि इस विधेयक के जरिए केंद्र ने अप्रत्यक्ष रूप से राज्य के सहकारी क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास किया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के भास्कर मुरलीधर भगारे ने कहा कि महाराष्ट्र में सबसे अधिक सहकारी समितियां हैं, लेकिन इसे गुजरात के आणंद में स्थापित किया जा रहा है। कांग्रेस की कडियम काव्या ने सवाल किया कि क्या यह विश्वविद्यालय सच में किसानों और छात्रों के हितों की पूर्ति करेगा या यह गुजरात तक सिमट कर रह जाएगा। समाजवादी पार्टी के आदित्य यादव ने जोर दिया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना उत्तर प्रदेश में की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि पहले से ही सहकारी क्षेत्र में विकसित राज्य में यह विश्वविद्यालय स्थापित करना केंद्रीयकरण के प्रयास को प्रदर्शित करता है। (इनपुट-भाषा)