यूपी से महाराष्ट्र तक और बिहार से बंगाल तक INDI अलायंस में झगड़े और कलह के बीच आज मोदी विरोधी गठबंधन की वो बैठक हो रही है जिस पर पूरे देश की निगाहें लगी हैं। सवाल ये उठ रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे और ममता बनर्जी एलायंस से बाहर आने वाली हैं। तो आपको बता दें कि महाराष्ट्र में गठबंधन पर कांग्रेस और उद्धव के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। सीटों के बंटवारे पर महाराष्ट्र में झगड़ा बढ़ गया है। वर्चुअल मीटिंग में उद्धव गुट का कोई नेता आज शामिल नहीं हो रहा है। उद्धव ठाकरे 23 सीटों पर अड़ गए हैं लेकिन कांग्रेस 18 से ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। नाराजगी इतनी बढ़ गई है कि कांग्रेस ने महाराष्ट्र की 48 में से 46 सीटों पर पर्यवेक्षक की घोषणा कर दी है। कांग्रेस का ये फैसला आग में घी डालने वाला है।
पेच कहां फंसा है?
उद्धव ने 23 सीटों की डिमांड के पीछे तर्क ये दिया है कि उनकी पार्टी 2019 में भी 23 सीट पर ही लड़ी थी और 18 सीटों पर जीत भी दर्ज की थी लेकिन जवाब में कांग्रेस उद्धव ठाकरे को आइना दिखा रही है। कांग्रेस की दलील है कि 18 में से 13 सांसद तो शिंदे गुट में चले गए। उद्धव के पास तो सिर्फ पांच लोकसभा सांसद बचे हैं इसलिए वो 23 सीटों की मांग कैसे कर सकती है। उद्धव ठाकरे आज की वर्चुअल मीटिंग में ना तो आ रहे हैं और ना ही किसी को भेज रहे हैं।
सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस-ममता में ठनी
वहीं, आपको बता दें कि इंडी अलायंस में महाराष्ट्र से भी बड़ा झगड़ा पश्चिम बंगाल में चल रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद बंगाल में सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पा रही है। यहां भी सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस और ममता में ठन गई है। ममता अब भी कांग्रेस को 2 से ज्यादा सीट ना देने पर अड़ी हुई हैं लेकिन कांग्रेस 10 सीटों की डिमांड कर रही है। TMC से बात नहीं बन पाने के आसार लग रहे हैं इसलिए कांग्रेस अब लेफ्ट से बातचीत में लगी है।
लेफ्ट में एक भी सीट नहीं देना चाहती ममता
ममता बनर्जी ने जो ऑफर दिया है उसके मुताबिक बंगाल की 44 में से 42 सीटों पर उनकी पार्टी लड़ेगी, कांग्रेस 2 सीटों पर लड़े और लेफ्ट को ममता ने एक भी सीट देने से इनकार कर दिया है। 2019 में कांग्रेस को बंगाल में 2 सीट मिली थी, ममता वहीं दोनों सीटें देना चाहती हैं। लेफ्ट का खाता पिछली बार नहीं खुला था तो वो लेफ्ट दलों को एक भी सीट देने के फेवर में नहीं हैं।
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