मुंबई: तिरुपति बालाजी देवस्थान में प्रसाद की शुद्धता पर उठे सवाल और विवाद के बाद अब सभी मशहूर देवस्थान में बनाए जाने वाले प्रसाद की शुद्धता भी सवालों के घेरे में है। मुंबई का मशहूर देवस्थान सिद्धिविनायक के दर्शन के लिए रोजाना हजारों की संख्या में भक्त आते है और पूरी श्रद्धा भाव से मंदिर की ओर से दिया जाने वाला लड्डू का प्रसाद ग्रहण करते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर प्रसाद विवाद के बाद सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि सिद्धिविनायक ट्रस्ट की ओर से लड्डू प्रसाद की शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है। प्रसाद के लिए बढ़िया शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।
सिद्धिविनायक ट्रस्ट की सचिव वीणा पाटिल ने कहा कि हमारा महाप्रसाद बेहद मशहूर है। भक्तगणों की आस्थाएं उससे जुड़ी हैं इसलिए हमारी जिम्मेदारी भी ज्यादा है। लड्डू शुद्ध घी में बनाया जाता है और यह गाय का घी है। बूंदी को शुद्ध घी में तला जाता है। प्रसाद में बेसन, काजू, किशमिश और मुनक्का का इस्तेमाल होता है। इस प्रसाद की शुद्धता को पूरी तरह से नियंत्रित रखा जाता है।
उन्होंने बताया कि ई-टेंडर के तहत सारे पदार्थ मंगाए जाते हैं। ठेकेदार तय किया जाता है और तकनीकी प्रमाण पूरा करने के बाद ही टेंडर मंजूर किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रसाद में इस्तेमाल किए जानेवाले सारे पदार्थ की शुद्धता की जांच मुंबई महानगरपालिका की लैब में होती है। जांच के बाद ही इन पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है।
वीणा पाटिल ने कहा कि हर रोज 50 हजार लड्डू प्रसाद के लिए बनाए जाते हैं। त्योहार के समय लड्डू की मांग बढ़ जाती है। पिछले साल 28 लाख लीटर घी का इस्तेमाल लड्डू बनाने के लिए किया गया था इस तरह से हर साल महाप्रसाद बनाने के लिए तकरीबन ढाई लाख लीटर शुद्ध घी की जरूरत होती है। हर साल 2 करोड़ लड्डू बनाए जाते हैं। चासनी के लिए ब्रांडेड चीनी का इस्तेमाल किया जाता है।
लड्डू में इस्तेमाल सामग्री
- 50 किलो बेसन में 65 लीटर घी का इस्तेमाल
- 5 किलो काजू
- 5 किलो किशमिश
- 250 ग्राम इलायची
- 250 ग्राम लेक्मेक पाउडर का इस्तेमाल
- एक लड्डू का वजन तकरीबन 50 ग्राम का होता है
हाइजीन
- किसी को भी बिना अनुमति के आने नहीं दिया जाता
- कर्मचारियों को हैंड ग्लव्स पहनना जरूरी
- कर्मचारियों के लिए सिर पर टोपी पहनना अनिवार्य
- सीसीटीवी से होती है निगरानी
- बूंदी बनाने के बाद कर्मचारी हाथ से लड्डू बनाते हैं
- उसके बाद पैकिंग की जाती है
- मशीन से होती है लड्डू की पैकिंग
- मशीन को पूरी तरह से सेनीटाइज किया जाता है
- हर 3 महीने में मशीन का मेंटेनेंस किया जाता है
- लड्डू को थोड़ी देर सूखने के छोड़ा जाता है
- सूखने के बाद ही इसकी पैकिंग की जाती है
- लड्डू की शेल्फ लाइफ चार दिन की है
- मुंबई महानगरपालिका के लैब में टेस्ट किया जाता है
चार दिन के अंदर इस्तेमाल करें
लैब टेस्ट के मुताबिक 7 से 8 दिन तक लड्डू रखा जा सकता है। यह खऱाब नहीं होता। लेकिन लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए हम एहतियातन चार दिन में ही खाने की सूचना पैकेट पर लिखते हैं। 50 -50 ग्राम के दो लड्डू पैकेट में होते हैं। वहीं फूड एंड ड्रग विभाग से लड्डू में इस्तेमाल होने वाले सामग्री को प्रमाणित किया जाता है। ठेकेदार का टेंडर मंजूर होने से पहले उसके द्वारा तैयार लड्डू का सैम्पल टेस्ट किया जाता है
लैब टेस्टिंग
घी की शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए संस्थान के कमेटी मेंबर , बी एम सी लैब के एक्सपर्ट का प्रतिनिधिमंडल घी की आपूर्ति करने वाले प्लांट में विजिट करता है। तकनीकि स्तर शुद्धता प्रमाणित और सुनिश्चित करने के बाद ही घी की आपूर्ति करने वाले डेयरी के टेंडर को मंजूरी दी जाती है। इसके अलावा मंदिर की ओर से सामग्री की रेंडम चेक लैब में की जाती है और तैयार लड्डू भी लैब में भेजा जाता है। प्रसाद बनाने के किचन और पूरे मंदिर परिसर में ढाई सौ सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है।
सीसीटीवी से निगरानी
लड्डू बनाने के लिए आनेवाली सामग्री और प्रसाद का लड्डू बनने से लेकर पैक होकर काउंटर पर जाने तक सब प्रक्रिया पर नजर रखी जाती है। इसके लिए सीसीटीवी लगे हुए हैं ताकि प्रसाद में अगर कोई गड़बड़ी होती है तो वह सामने आ जायेगी।रॉ मैटेरियल हर 15 दिन में मंगाया जाता है। गेट में इंट्री से लेकर स्टॉक रूम में रखने तक पूरा रिकॉर्ड् मेनटेन किया जाता है। सीसीटीवी से हर चीज पर नजर रखी जाती है। वेंडर को भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि क्वालिटी के साथ कोई भी समझौता ना हो। वीणा पाटिल ने कहा कि मैं भक्तगणों से कहना चाहती हूं कि हम क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं करते। अच्छा और शुद्ध प्रसाद भक्तगणों को मिले इसलिए हम कटिबद्ध हैं।
गोकुल डेयरी के घी का इस्तेमाल
वहीं सिद्धिविनायक ट्रस्ट के सदा सरवनकर ने कहा कि हमारे यहां लड्डू के रूप में जो महाप्रसाद दिया जाता है, जिस पदार्थ का इस्तेमाल करते हैं उसकी पूरी तरह से जांच होती है। जब टेंडर मंजूर किया जाता है तो उसकी शुद्धता परखने के लिए हमारी समिति प्रत्यक्ष रूप से जांच करती है। हमारे यहां गोकुल डेयरी का घी आता है। लैब में जांच करने के बाद ही घी या सारा मैटेरियल इस्तेमाल होता है। समय समय और आने वाले मैटेरियल को भी बीएमसी की लैब में टेस्ट किया जाता है। भक्तगणों को प्रसाद के तौर पर दिए जानेवाले लड्डू की शुद्धता पर हमारी ओर से पूरा ध्यान दिया जाता है।
कभी कोई शिकायत नहीं आई
उन्होंने बताया कि हमारे प्रसाद के बारे में कभी किसी भक्त की ओर से कोई शिकायत नहीं आई है। हमें खुशी है कि प्रसाद के रूप में शुद्ध लड्डू हम भक्तों को दे रहे है। हमारे देवस्थान में लड्डू बनाने पर पूरा ध्यान होता है। इसलिए भक्त लड्डू प्रसाद मांग कर घर ले जाते हैं। उन्होंने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है और कहा कि यहां हर एक पदार्थ को लैब में टेस्ट किया जाता है। भक्तों को अच्छा लड्डू प्रसद देने के लिए हम कटिबद्ध है। बता दें कि सिद्धिविनायक मंदिर में हर साल तकरीबन ढाई करोड़ भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। लोगों के मुताबिक यहां मिलने वाला लड्डू शुद्ध और अच्छा है।
महाप्रसाद के लिए सामग्री (प्रति वर्ष)
- घी- ढाई लाख लीटर
- चीनी - चार लाख 14 हजार किलो
- बेसन - एक लाख 80 हजार किलो
- काजू - 18 हजार किलो
- किशमिश - 18 हजार किलो