Saturday, September 28, 2024
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अवैध वोटर्स चुनाव को कैसे कर रहे प्रभावित? 4 बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी नेता ने उठाया मुद्दा- जानें पूरा मामला

बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने कहा कि हम बांग्लादेशी क्षेत्र के वोट बैंक से हार गए। वहीं, संजय शिरसाट ने कहा कि वह देश में आते हैं, ताकि कोई दल उनका समर्थन करें। अवैध बांग्लादेशियों ने मतदान किया, इसका लाभ विपक्षी दलों ने लिया।

Reported By : Saket Rai Edited By : Malaika Imam Updated on: June 12, 2024 20:26 IST
महाराष्ट्र एटीएस ने चार बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है। - India TV Hindi
महाराष्ट्र एटीएस ने चार बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है।

लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद बीजेपी लगातार बांग्लादेशी और अवैध वोटर्स का मुद्दा उठा रही है। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने चुनाव नतीजे सामने आने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि हम बांग्लादेशी क्षेत्र के वोट बैंक से हार गए और कई मतदान केंद्र के आंकड़े भी पेश किए, जिसमें महायुति के उम्मीदवारों को 0 से लेकर 5 वोट तो वहीं महा विकास आघाड़ी के उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में वोट डाले गए थे।

बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने लिखा है, "मिहिर कोटेचा (बीजेपी ) पूर्वोत्तर मुंबई सीट पर 29,861 वोटों से हार गए। मानखुर्द में 87,971 वोटों की कमी और मुलुंड से घाटकोपर 58,110 की बढ़त। मानखुर्द विधानसभा (बांग्लादेशी निर्वाचन क्षेत्र) उद्धव ठाकरे सेना को 1,16,072 वोट और बीजेपी को 28,101 वोट। हम बांग्लादेशी क्षेत्र में चुनवा हार गए।" 

इंडिया टीवी से बात करते हुए किरीट सोमैया ने वोट जिहाद के मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को घेरा। उन्होंने कहा, "मुंबई के जिन इलाकों में वोटिंग हुआ उसके आंकड़े को देखिए- नागपाड़ा, बेहरामपाड़ा, भिंडी बाजार, मानखुर्द हर जगह बीजेपी को 0 -0 वोट और उद्धव के वोट जिहाद को 300-400 वोट मिले। अब तो उद्धव ठाकरे का वोट जिहाद मुंबई के मुंबा देवी के चरणों तक पहुंच गया।" 

"अवैध बांग्लादेशियों ने मतदान किया"

इस मुद्दे पर शिंदे गुट के शिवसेना विधायक संजय शिरसाट ने कहा, "बांग्लादेशियों की घुसपैठ बढ़ती जा रही है और यह बेहद खतरनाक है। वह देश में आते हैं, ताकि कोई दल उनका समर्थन करें। अवैध बांग्लादेशियों ने मतदान किया, इसका लाभ विपक्षी दलों ने लिया। खुद के राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा किया गया, लेकिन यह देश के लिए खतरनाक है। यह वोट जिहाद है। अपना राजनीतिक वोट बढ़ाने के लिए इस तरह का राजनीतिक लाभ लिया गया। कल इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।"

"अवैध तरीके से बांग्लादेशी रह रहे हैं"

शिंदे गुट के शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा, "इसमें कोई दो राय नहीं कि मुंबई समेत देश के कई इलाकों में अवैध तरीके से बांग्लादेशी रह रहे हैं और महाराष्ट्र एटीएस ने खुलासा किया है कि गिरफ्तार आरोपियों में से कई ने चुनावों में वोट दिया, जो बहुत चिंता का विषय है, इसकी तह तक जाने की जरूरत है। इन बांग्लादेशियों की वजह से शिवसेना यूबीटी और कांग्रेस को किन सीटों पर ज्यादा वोट पड़े, इसकी जांच होनी चाहिए, क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों का एकतरफा वोट को देखा गया है, तो क्या उसमें यह बांग्लादेशी भी शामिल हैं? यह चिंताजनक बात है।"

जितेंद्र आव्हाड ने किया पलटवार

इस पर शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस-शरदचंद्र पवार के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, "आप 10 साल सत्ता में थे, तब आपने बांग्लादेशियों को ढूंढकर बाहर क्यों नहीं किया? आप हर किसी को द्वेष नजर से देखोगे तो पिछड़ा और अति पिछड़ा आपके साथ क्यों आएंगे? आपकी भाषा और आपके मन में जो उनके प्रति द्वेष है वह देश जब तक प्यार में नहीं बदलता तब तक यही चालू रहेगा। उन्होंने आपका क्या बिगाड़ा है आप यह कैसे कह सकते हैं कि वह बांग्लादेशी हैं, जिनका जन्म यहां हुआ है। आपके मुंबई में आने से पहले नागपाड़ा के मुस्लिम मुंबई में आ चुके थे। 200 साल पुराना उनका इतिहास है। आप बांग्लादेशी कह रहे हैं, क्योंकि आपके कई ऐसे उम्मीदवार हारे हैं, लेकिन जहां मुस्लिम वोट बैंक नहीं था उसके बारे में आपका क्या कहना है?"

बता दें कि लोकसभा चुनाव में फेक पासपोर्ट से मतदान करने के आरोप में महाराष्ट्र ATS ने मंगलवार को चार बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था। लोकसभा चुनाव में बांग्लादेशियों ने फर्जी डॉक्यूमेंट की मदद से वोटिंग की। गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को लेकर महाराष्ट्र ATS मुंबई के मझगांव कोर्ट पहुंची, जहां फारुख शेख को 14 जून तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया और अन्य बाकी आरोपियों को ज्यूडिशियल कास्टडी में भेज दिया गया। 

पुलिस जांच में क्या पता चला?

जांच में यह सामने आया है कि यह सभी बांग्लादेशी नागरिक गुजरात में रहकर फर्जी पासपोर्ट बनाया करते थे और इसका इस्तेमाल कर कुछ लोग विदेश में जाकर नौकरी भी कर रहे हैं। 

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान

रियाज हुसैन शेख (उम्र- 33 वर्ष): यह इलेक्ट्रिशन का काम करता है और यमुनानगर, मिल्लतनगर, लोखंडवाला, अंधेरी (प) का रहने वाला है। जांच में पता चला कि यह हृदयनगर, ठाणे- बशीरहाट, जिला नोवाखाली, बांगलादेश का रहने वाला है। 

सुलतान सिद्दीक शेख (उम्र- 54 वर्ष): रिक्शा चलाता है और अंबुजवाडी, आझाद नगर, मालवणी, मालाड, मुंबई में रहता है। यह सिनोदी, पो. चंदेहाट, तहसिल बाटोया, जि. सदर नोवाखाली, बांगलादेश का रहने वाला है।

इब्राहिम शफिउल्ला शेख (उम्र- 46 वर्ष): यह सब्जी बेचने का काम करता और म्हाडा कॉलनी और माहुल गांव में रहता है। जांच में पता चला कि इसका असली पता साहेबर हाट, कादीरपुर, ठाणा- बेगमगंज, जि. नोवाखाली, बांगलादेश है। 

फारूख उस्मानगणी शेख (उम्र- 39 वर्ष): यह ओशिवरा, जोगेश्वरी (प) का रहने वाला है। जांच के अनुसार यह कबीर हाट, मोनीनगर, जि. नोवाखाली, बांगलादेशी का रहने वाला है।  

इस मामले में ATS ने IPC की धारा 465, 468, 471, 34 और इंडियन पासपोर्ट एक्ट की धारा 12 (1A) के तहत मामला दर्ज किया है। जांच में पता चला कि आरोपियों ने लोकसभा चुनाव में फर्जी दस्तावेजों की मदद से फर्जी वोटिंग की है। सभी आरोपी नकली दस्तावेज बनाकर मुंबई में रह रहे थे। इस मामले में पांच अन्य बांग्लादेशियों की पहचान हुई है। सभी फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ इस प्रकार से ये लोग ऑपरेट करते थे- 

मिलता है लोकल सपोर्ट

इन सभी लोगों को कहीं ना कहीं लोकल सपोर्ट मिलता है। मिली जानकारी के मुताबिक, एक पंडित नाम के व्यक्ति की तलाश की जा रही है, जिसने इन लोगों का डॉक्यूमेंट बनाने में मदद की और उसके ऊपर पहले से ही मुंबई के धारावी पुलिस स्टेशन में मामला भी दर्ज है। बांग्लादेश से आए हुए सभी आरोपी अपने दैनिक जीवन में साधारण सा काम करते हैं, जैसे- प्लंबर, वेल्डर और सब्जी बेचने का काम। यह सभी लोग इस प्रकार का काम करते हैं, जिसमें कोई भी दस्तावेज नहीं लगे। 

कानूनी दांव-पेंच का इस्तेमाल

लगभग 50 से 60 हजार में यह लोग अपना पासपोर्ट बनवा लेते हैं। अगर कहीं उनकी गिरफ्तारी हो भी जाए, तो यह लोग अपने एजेंट की मदद से बेल पर बाहर आ जाते हैं। इनके ऊपर केस चल रहा होता है, इसलिए उन्हें वापस भी नहीं भेजा जा सकता। 

यही कारण है कि बेल पर बाहर आने के बाद सभी आरोपी फिर से फर्जी दस्तावेज और पासपोर्ट के काम में लग जाते हैं। पुलिस की एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अगर इन लोगों के लिए एक डिटेंशन सेंटर बना दिया जाए, तो यह कहीं भी भाग नहीं सकते और पुलिस की नजर में भी रहेंगे।

आधार कार्ड की भूमिका

भारत आने के बाद यह आरोपी सबसे पहले अपना आधार कार्ड बनाते हैं और उसी की मदद से अपने अन्य डॉक्यूमेंट भी बना लेते हैं। आधार कार्ड बनाने के लिए उन्होंने कौ- सा डॉक्यूमेंट सबमिट किया है यह पता लगाने के लिए औपचारिक तौर पर पुलिस को कोर्ट से परमिशन लेनी पड़ती है, जो एक पेचीदा प्रक्रिया है। आधार कार्ड की मदद से यह सभी लोग अन्य राज्यों में जाकर अपना एड्रेस बदलकर लोकल लोगों की मदद से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करवाते हुए पासपोर्ट के लिए अप्लाई करते हैं और लोकल मदद मिलने की वजह से ही पुलिस वेरिफिकेशन भी इन लोगों के लिए आसान हो जाता है। 

चुनाव नतीजे पर प्रभाव

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया कि किसी साधारण चुनाव जैसे नगर सेवक और विधायकी के चुनाव में इन लोगों का वोट काफी अहम भूमिका निभाता है और नतीजे पर भी प्रभाव डाल सकता है। ATS इस मामले में यह भी जांच कर रही है कि क्या किसी पॉलिटिकल सपोर्ट की मदद से भी इन लोगों ने अपना डॉक्यूमेंट वेरीफाई कराया था।

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