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कुंडली नहीं मिलना तय शादी तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता: हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि कुंडली की आड़ में आवेदक ने अपने वादे पूरे नहीं किए। रिकॉर्ड पर जो दस्तावेज हैं उनसे पता चलता है कि यह शादी के झूठे वादे का मामला है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 22, 2021 11:33 IST
कुंडली नहीं मिलना तय शादी तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता: हाईकोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE कुंडली नहीं मिलना तय शादी तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता: हाईकोर्ट

मुंबई: कुंडली नहीं मिलने का बहाना बनाकर रिलेशनशिप में साथ रहनेवाली लड़की से किए शादी के वादे से मुकर जाने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बदलापुर के रहनेवाले शख्स को राहत देने से इनकार कर दिया है।

जस्टिस संदीप शिंदे ने सोमवार को कहा, यह साफ है कि कुंडली की आड़ में आवेदक ने अपने वादे पूरे नहीं किए। रिकॉर्ड पर जो दस्तावेज हैं उनसे पता चलता है कि यह शादी के झूठे वादे का मामला है। यह साफ तौर पर शिकायतकर्ता की सहमति का उल्लंघन है। उन्होंने उस शख्स आरोपमुक्त करने की याचिका को खारिज कर दिया, जिस पर जनवरी 2013 में बलात्कार और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। इससे पहले डिंडोशी कोर्ट ने भी उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

इससे पहले महिला ने एफआईआर में कहा था कि वर्ष 2012 में एक होटल में काम करने के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं। उसने कहा कि आरोपी शख्स ने उसका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया और जब वह गर्भवती हुई, तो उसने उसे गर्भपात के लिए मना लिया और दो साल बाद उससे शादी करने का वादा किया। और बाद में उसने शादी करने से इनकार कर दिया।

28 दिसंबर 2012 को उसकी शिकायत पर पुलिस ने काउंसलिंग का सुझाव दिया। इस पर उस शख्स ने युवती को भरोसा दिया कि वह उससे शादी करेगा। 6 जनवरी 2013 को युवती ने अपनी शिकायत वापस ले ली। 18 जनवरी 2013 को शख्स ने काउंसलर से कहा कि वह उससे शादी नहीं कर सकता। इसके बाद महिला ने फिर से अपनी शिकायत दर्ज कराई।

हाईकोर्ट में आरोपी के वकील राजा ठाकरे ने तर्क दिया कि यह वादे के उल्लंघन का मामला था न कि शादी का झूठा वादा था। उन्होंने कहा कि चूंकि कुंडली मेल नहीं खाती और ज्योतिषीय असंगति का मामला होने के कारण संबंधों को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। आरोपी के वकील की इस दलील पर कोर्ट ने कहा कि जो भी दस्तावेज और सबूत हैं उससे स्पष्ट है कि आवेदक का शिकायतकर्ता से शादी करने के अपने वादे को कायम रखने का कोई इरादा नहीं था।

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