हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल ने नवी मुंबई मे हिंदी दिवस पर "मुंबई हिंदी भाषी समाज" की ओर से यशवंतराव चव्हाण सभागार में आयोजित स्वागत समारोह में कहा कि सनातनी हिंदू होने पर मुझे गर्व है। उन्होंने कहा कि यह सोचना होगा कि सनातन की रक्षा कैसे करनी है? उन्होंने सनातन पर टिप्पणी करने वालों को करारा जवाब देते हुए कहा कि लोगों को लगता है कि सनातन के बारे में कुछ बोलकर वोट मिल सकता है, इसलिए कुछ लोग ऐसा बोल रहे हैं।
इंग्लैंड के पीएम की दिलाई याद
उन्होंने कहा कि मैं पिछले दिनों रायबरेली में एक कार्यक्रम में था, वहां भी मैंने अपने सनातनी हिंदू होने पर गर्व होने की बात कही। उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के संस्कारों की बात कहते हुए कहा कि इस देश की संस्कृति ने सबके सुख की कल्पना की है। उन्होंने कहा कि विकसित राष्ट्र इंग्लैंड का प्रधानमंत्री मंदिर में साष्टांग प्रणाम करता है और कुछ देश के अपने लोग ही सनातन पर सवाल उठाते हैं।
"हिंदी भारत को जोड़ती है"
राज्यपाल ने कहा कि हिंदी देश की आकांक्षा का मंत्र है। हिंदी देश की बिंदी है। आजादी आंदोलन में जितने भी क्रांतिकारी हुए हैं सबने हिंदी को बुलंद किया, इसलिए हिंदी को राजभाषा यानी कामकाज की भाषा बनाई गई है। जिन देशों में अंग्रेजी बोली जाती है वहां हिंदी का बोलबाला बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश का प्रशासनिक, वैज्ञानिक और तकनीकी कामकाज हिंदी भाषा में हो यही जरूरी है। पिछले कई दशकों में हिंदी की जो स्थिति बनी है, वो दुखदायी है। हम अपनी भाषा को बोलने में संकोच करते हैं, फिर उस भाषा में कामकाज कहा होगा।
उन्होंने कहा कि हिंदी सामाजिक समरसता की आधार है। हिंदी भारत को जोड़ती है और राष्ट्रीय एकात्मता को मजबूत करती है। हिंदी हिंदुस्तान का प्रतीक है, इसलिए इस प्रतीक को और विस्तार एवं प्रोत्साहन देने की जरूरत है। उन्होंने हिमाचल के प्रवासियों को महाराष्ट्र और हिमाचल को जोड़ने का माध्यम बताया।
- सर्वजीत सोनी की रिपोर्ट