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मुंबई के इस अस्पताल में बना देश का पहला ट्रांसजेंडर वार्ड, जानें क्या है खासियत

ट्रांसजेंडर होने की वजह से उनको इलाज भी समय पर नहीं मिल पता है, ऐसे में अब ट्रांसजेंडर्स के लिए मुंबई के जेजे अस्पताल के अंतर्गत आने वाले जीटी अस्पताल में देश के पहले ट्रांसजेंडर वार्ड को शुरू किया गया है।

Reported By : Namrata Dubey Edited By : Khushbu Rawal Published : Feb 06, 2023 16:38 IST, Updated : Feb 06, 2023 21:39 IST
transgender ward
Image Source : SOCIAL MEDIA ट्रांसजेंडर वार्ड

मुंबई (महाराष्ट्र): मुंबई के जीटी अस्पताल में देश का पहला ट्रांसजेंडर्स के लिए वार्ड बनाया गया है। ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी को लोग हमेशा अलग नजर से देखते है, इस समाज ने सदियों से काफी कुछ झेला है और काफी कुछ सहन भी किया है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी इन लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। ट्रांसजेंडर होने की वजह से उनको इलाज भी समय पर नहीं मिल पता है, ऐसे में अब ट्रांसजेंडर्स के लिए मुंबई के जेजे अस्पताल के अंतर्गत आने वाले जीटी अस्पताल में देश के पहले ट्रांसजेंडर वार्ड को शुरू किया गया है।

एक वार्ड में 30 बेड्स की सुविधा

इस अस्पताल में 30 बेड्स की सुविधा दी गई है और एक मेडिकल विंग वार्ड का नवीनीकरण किया गया है। इस कम्यूनिटी को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए 150 स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी रखा गया है। गोकुलदास तेजपाल (GT) अस्पताल में 30 बेड का यह वार्ड सिर्फ राज्य का ही नहीं, बल्कि देश का पहला समर्पित ट्रांसजेंडर वार्ड बन गया है। मुंबई के अलावा राज्य के अन्य अस्पतालों में भी इस तरह का वार्ड शुरू करने की सरकार की योजना है।

क्यों पड़ी इस अलग वार्ड की जरुरत?
किन्नरों को स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर अलग तरह का बर्ताव झेलना पड़ता है इसलिए राज्य सरकार ने जीटी अस्पताल में एक समर्पित वॉर्ड की शुरुआत की है। जेजे अस्पताल समूह की डीन डॉ. पल्लवी सापले ने बताया कि अक्सर ट्रांसजेंडर की मांग हुआ करती थी कि उन्हें महिला वार्ड में भर्ती किया जाए, लेकिन महिला वार्ड में इन्हें भर्ती करने से वहां मरीजों में हिचकिचाहट होने लगती थी। पुरुष वार्ड में ट्रांसजेंडर खुद को कम्फर्ट नहीं पाते थे लेकिन अब इस नए वार्ड के शुरू होने से ट्रांसजेंडर्स को मुख्यधारा में लाया जा सकता है।

150 स्टाफ को दी जाएगी ट्रेनिंग
डॉ. सापले ने बताया कि यहां मनोरोग विशेषज्ञ उपलब्ध रहेंगे। भर्ती करने के दौरान सीरो सर्विलांस के लिए ब्लड के सैंपल लिए जाएंगे। अस्पताल में इलाज के दौरान ट्रांसजेंडर्स को अलग बर्ताव न झेलना पड़े इसके लिए 150 से ज्यादा स्टाफ को रोगियों के प्रति मानवीय व्यवहार के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। अस्पताल में वार्ड में वेंटिलेटर, आईसीयू मॉनिटरिंग, ट्रेंड स्टाफ और डॉक्टर होंगे। रोगियों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए अलग एग्जामिनेशन रूम और ड्रेसिंग रूम, रोगियों के लिए जेंडर-न्यूट्रल शौचालय की सुविधा भी है।

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