मुंबई: महाराष्ट्र में प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 रोगी के इलाज का पहला प्रयोग सफल हो गया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को यह जानकारी दी है। टोपे ने पत्रकारों से कहा, ''मुंबई के लीलावती अस्पताल में पहली प्लाज्मा थेरेपी सफल रही। हम मुंबई में ही बीवाईएल नायर अस्पताल में एक अन्य रोगी पर दूसरा प्रयोग कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इसमें भी सफलता मिलेगी।''
इस थेरेपी में कोविड-19 से ठीक हो चुके व्यक्ति के रक्त घटक प्लाज्मा को कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार रोगी के शरीर में स्थानांतरित किया जाता है। इसका अभी प्रयोग ही किया जा रहा है। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने मंगलवार को प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना वायरस का पुख्ता इलाज मानने से इनकार किया था।
ICMR ने ट्वीट कर कहा था कि वर्तमान में COVID19 के लिए कोई निश्चित उपचार नहीं हैं। कंवलसेंट प्लाज्मा कई उभरते हुए उपचारों में से एक है। हालांकि, नियमित चिकित्सा के लिए इसके इस्तमाल के लिए कोई मजबूत आधार नहीं है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमन ने भी इसे प्रायोगिक चिकित्सा के रूप में देखा है।
अगले ट्वीट में ICMR ने कहा कि कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी के एंटीबॉडी टिटर परीक्षण की तरह अपनी तरह की तकनीकी चैलेंज हैं। इस थेरेपी का उपयोग करने के कई जोखिम भी हैं, जिसमें जानलेवा एलर्जी रिएक्शन और lung injury शामिल हैं।
वहीं, मंगलवार को ही नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्लाजमा थैरेपी से संभावित इलाज के बारे में स्पष्ट किया था कि उपचार की यह पद्धति अभी प्रयोग के दौर में है और ऐसी किसी भी पद्धति को मान्यता नहीं दी गयी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया था कि परीक्षण के दौर से गुजर रही प्लाजमा थैरेपी के बारे में अभी तक पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं जिनके आधार पर यह दावा किया जा सके कि इस पद्धति से कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है।