मुंबई। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग करने वाले पहले कोविड-19 मरीज का निधन 29 अप्रैल को हो गया है। 53 वर्षीय पुरुष को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद यहां लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के सीईओ डा. रविशंकर ने इस बात की स्वयं पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मरीज की हालत बहुत गंभीर थी और उसे आईसीयू में वेंटीलेंटर पर रखा गया था।
19 अप्रैल को मरीज की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उसे 20 अप्रैल को अस्पताल में लाया गया था। वायरस का पता लगाने में हुई देरी के कारण मरीज के अंदर पहले ही गंभीर श्वसन संबंधी समस्या पैदा हो गई थी। डॉक्टरों ने बताया कि गले में खराश, सूखी खांसी और बुखार जैसे लक्षण पता चलने के बाद भी मरीज ने उपचार लेने में देरी की। मरीज को लग रहा था कि उसकी न तो कोई ट्रैवल हिस्ट्री है और न ही वो किसी कोविड-19 मरीज के संपर्क में आया है इसलिए उसे संक्रमण नहीं हो सकता।
लीलावती अस्पताल के सीईओ डा. रविशंकर ने बताया कि जब मरीज को अस्पताल में लाया गया, उसकी स्थिति पहले से ही काफी गंभीर थी। उसे सांस लेने में गंभीर समस्या थी। आईसीएमआर से अनुमति लेने के बाद 25 अप्रैल को अस्पताल में पहली बार प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग इस मरीज पर किया गया। राज्य में प्लाज्मा थेरेपी की क्लीनिकल ट्रायल के लिए वह पहला कोविड-19 मरीज था।
पहले दिन उसे 200एमएल प्लाज्मा चढ़ाया गया। हालांकि उसकी स्थिति गंभीर थी, फिर भी इसने उसके शरीर में ऑक्सीजन लेने की मात्रा में सुधार किया। हालांकि 27 अप्रैल को सुबह उसकी हालत बिगड़ने लगी। उसके अंदर संक्रमण फैलने लगा और उसे एंटीबायोटिक्स के कई हाई डोज दिए गए।
डा. रविशंकर ने बताया कि मरीज की खराब हालत को देखते हुए हमनें प्लाज्मा थेरेपी को टाल दिया। हमें दुख हैं कि बुधवार रात संक्रमण के कारण उसकी मृत्यु हो गई। इसी सप्ताह मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि प्लाजमा थेरेपी अभी ट्रायल के चरण में है और कोरोना वायरस मरीज के उपचार के लिए इसे प्रमाणित नहीं किया गया है।