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महाराष्ट्र में प्याज व अन्य फसलों के दामों में कमी से किसान हताश, MVA ने किया विरोध प्रदर्शन

पवार ने आग्रह किया, हमने सरकार को पहले ही सूचित कर दिया है कि कैसे बरशी (सोलापुर) में एक प्याज उत्पादक को उसके स्टॉक के लिए 2 रुपये का चेक दिया गया, जो एक मजाक है। सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और कृषि उपज खरीदने के लिए नेफेड जैसे संगठनों को निर्देशित करना चाहिए।

Written By: Avinash Rai
Published : Feb 28, 2023 15:56 IST, Updated : Feb 28, 2023 15:56 IST
Farmers frustrated due to reduction in prices of onion and other crops in Maharashtra MVA protested
Image Source : PTI महाविकास अघाड़ी ने विधानसभा के बाहर किया प्रदर्शन

कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शिवसेना (यूबीटी) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने प्याज, कपास और सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों की दुर्दशा पर मंगलवार को विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। खरीद कीमतों में अचानक गिरावट के मद्देनजर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए विपक्षी नेताओं ने 'प्याज' की माला पहनाकर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया। विधानसभा के अंदर राकांपा के विपक्ष के नेता अजीत पवार ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि किसान गंभीर संकट में हैं और सदन को उनके संकट पर चर्चा करने के लिए बाकी सब कुछ छोड़ देना चाहिए।

प्याज की कीमत पर क्या बोले पवार

पवार ने आग्रह किया, हमने सरकार को पहले ही सूचित कर दिया है कि कैसे बरशी (सोलापुर) में एक प्याज उत्पादक को उसके स्टॉक के लिए 2 रुपये का चेक दिया गया, जो एक मजाक है। सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और कृषि उपज खरीदने के लिए नेफेड जैसे संगठनों को निर्देशित करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिया जाना चाहिए, क्योंकि महाराष्ट्र 33 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत का सबसे बड़ा प्याज उगाने वाला राज्य है, और राज्य उत्पादित सब्जियों की अच्छी गुणवत्ता के कारण निर्यात में अग्रणी है।

सस्ते दामों से किसानों में निराशा

पवार ने कहा, हालांकि, वर्तमान में, कीमत बमुश्किल 500-600 रुपये प्रति क्विंटल है, जिसने किसानों को निराश किया है। इसके अलावा कपास, सोयाबीन, चना, अंगूर की खेती करने वालों को भी भारी नुकसान हो रहा है। किसान उत्पादन लागत भी पाने में असमर्थ हैं। उन्होंने प्याज निर्यात प्रोत्साहन योजना को फिर से शुरू करने और राज्य में नेफेड और विपणन संघों के माध्यम से प्याज की खरीद का आह्वान किया। विधानसभा के बाहर विपक्षी विधायकों ने नारे लगाए, प्याज किसानों के समर्थन में तख्तियां और बैनर प्रदर्शित किए, और बुलढाणा में शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों की अंधाधुंध पिटाई की निंदा की।

आत्महत्या की धमकी

उन्होंने बताया कि कैसे एक किसान नेता रविकांत तुपकर ने किसानों की मांगें पूरी नहीं होने पर खुद को आत्मदाह करने की धमकी दी है, जबकि पवार ने बेंत मारने की घटना की जांच की मांग करते हुए सदन के अंदर स्थगन प्रस्ताव पेश किया। अमोल मितकरी, भास्कर जाधव, छगन भुजबल, यशोमति ठाकुर और अन्य विपक्षी विधायकों ने बताया कि किसान भारी बारिश, फसल बीमा आदि में फसल के नुकसान के मुआवजे के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं दिया गया है।

गौरतलब है कि राज्य के आधे किसान सोयाबीन की खेती करते हैं, जो कुल राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत है, और औसत लागत लगभग 5,783 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन उन्हें मुश्किल से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। इसी तरह, कपास की उत्पादन लागत लगभग 8,180 रुपये/क्विंटल है, लेकिन वर्तमान बाजार दर लगभग 8,000 रुपये/क्विंटल है।

(इनपुट-आईएएनएस)

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