महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र का तीसरा और आखरी सप्ताह बुधवार से शुरू हो रहा है। समय कम है जिसके चलते सदन में नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए कांग्रेस ने अपना दावा विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के पास पेश कर दिया है। विजय वडेट्टीवार के नाम का यह पत्र आज कांग्रेस की और से राहुल नार्वेकर को दिया गया है। पत्र देने के लिए कांग्रेस की ओर से बालासाहेब थोरात,अशोक चव्हाण, विजय वडेट्टीवार और वर्षा गायकवाड़ मौजूद थीं। इस दौरान कांग्रेस के महाराष्ट्र अध्यक्ष नाना पटोले मौजूद नहीं थे, जिस नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। नाना पटोले की गैर मौजूदगी की वजह से राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी भी उजागर हुई है।
गैर-मौजूदगी पैदा कर रही कई सवाल
विजय वडेट्टीवार के नाम का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को आज कांग्रेस की ओर से सौंपा गया लेकिन नाना पटोले की गैर-मौजूदगी कई सवाल पैदा कर रही है। बता दें कि नाना पटोले के महाराष्ट्र अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस नेताओं ने उनके काम करने के तौर तरीकों पर कई बार आपत्ति जताई है। खासकर नाना पटोले के बयानों ने पार्टी को कई बार मुश्किलों में भी डाला है और हर बार बालसाहेब थोरात,अशोक चव्हाण जैसे नेताओं को आगे आकर सफाई देनी पड़ी है। वहीं,पार्टी आलाकमान के पास भी कई बार इन नेताओं ने अपनी नाराजगी साफ तौर पर जाहिर भी की है।
नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस का होना तय
विधानसभा में अजित पवार की बगावत के बाद नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस की ओर से होना तय था क्योंकि विपक्षी दल में फिलहाल सबसे बड़ा दल कांग्रेस ही है। साथ ही नियम के मुताबिक़ नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के पास ही रहेगा, पर नाना पटोले की गैर-मौजूदगी पर न सिर्फ कांग्रेस के भीतर कि गुटबाजी नजर आ रही है बल्कि विपक्ष भी विधानसभा में बंटा हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस के विधानमंडल के नेता बालसाहेब थोरात से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नानपाटोले दिल्ली में मौजूद होने की वजह से आ नहीं पाए हैं।
आने वाले समय में कई बड़े बदलाव
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस में भी आने वाले समय में कई बड़े बदलाव सहित नए चेहरे भी संगठन में मौका पा सकते है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को भी अध्यक्ष पद से हटाने की चर्चा काफी दिनों से चल रही है। उनकी जगह पर पश्चिम महाराष्ट्र से मराठा चेहरा देने पर पार्टी के भीतर विचार मथन चल रहा है। आगामी 2024 के चुनाव में संगठनात्मक बदलाव भी दिखाई देने वाले हैं, लेकिन पार्टी के भीतर इस गुटबाजी का खमियाजा 2024 के चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ सकता है और इसका सीधा लाभ सत्ताधारी शिवसेना,बीजेपी और अजित पवार गुट के राष्ट्रवादी कांग्रेस को हो सकता है।
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