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पिछले 24 साल से सैलरी ले रहा था बीएमसी का फर्जी कर्मचारी, पुलिस ने किया गिरफ्तार

जानकारी के मुताबिक रमेश ने 1989 से बीएमसी में माली के रूप में काम करना शुरू किया था।  बीएमसी को जबतक शेलार के दस्तावेजों के फर्जी होने की जानकारी तबतक वह सरकारी खजाने से 43.31 लाख रुपये का वेतन ले चुका था।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 17, 2021 12:18 IST
BMC, employee,  बीएमसी का फर्जी कर्मचारी, पुलिस ने किया गिरफ्तार - India TV Hindi
Image Source : प्रतीकात्मक तस्वीर/फाइल पिछले 24 साल से सैलरी ले रहा था बीएमसी का फर्जी कर्मचारी, पुलिस ने किया गिरफ्तार 

मुंबई: आजाद मैदान पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो पिछले 24 साल से बीएमसी में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर माली की नौकरी कर रहा था। पिछले 24 साल में वह 43.31 लाख रुपये बतौर सैलरी ले चुका है। गिरफ्तार शख्स का नाम रमेश मारुत शेलार है और उसकी उम्र 53 साल है। 

जानकारी के मुताबिक रमेश ने 1989 से बीएमसी में माली के रूप में काम करना शुरू किया था। बीएमसी को जबतक शेलार के दस्तावेजों के फर्जी होने की जानकारी तबतक वह सरकारी खजाने से 43.31 लाख रुपये का वेतन ले चुका था। बीएमसी की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया और 20 अगस्त तक रिमांड पर ले लिया।

पुलिस के मुताबिक शेलार ने बीएमसी के एक कर्मचारी साबले के दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाई थी। शेलार ने ये दस्तावेज एक अधिकारी के जरिए प्राप्त किया था। अब चांच अधिकारी बीएमसी के उस अधिकारी की खोज कर रहे हैं जिसने शेलार को ये दस्तावेज मुहैया कराए थे।  शेलार ने 2017 तक भायखला में बीएमसी के जल विभाग में काम किया। यह धोखाधड़ी सभी नागरिक कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड के ऑडिट के बाद सामने आई।

“दोनों श्रमिकों के रिकॉर्ड में नाम, जन्म तिथि और स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र का विवरण समान था। 2017 में ये बातें संज्ञान में आई थीं जिसके बाद  दोनों को अपने मूल जाति प्रमाण पत्र जमा करने के लिए कहा गया था जो उन्होंने भर्ती के समय जमा किए थे। नोटिस जारी होने के बाद, सबले ने अपने मूल दस्तावेज जमा किए, लेकिन शेलार ने काम पर रिपोर्ट करना बंद कर दिया।

मार्च 2017 में बीएमसी ने शेलार को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें काम फिर से शुरू करने के लिए कहा। हालांकि, कारण बताओ नोटिस पुणे के जुन्नार स्थित सबले के आवास पर पहुंच गया।

एक अधिकारी ने कहा, 'सबाले के पिता को नोटिस मिला और उन्होंने अपने बेटे को फोन करके पूछा कि उसने काम पर रिपोर्ट करना क्यों बंद कर दिया है।" आखिरकार, बीएमसी अधिकारियों को धोखाधड़ी के बारे में पता चला।

बीएमसी की जांच 2021 की शुरुआत तक जारी रही जिसमें पता चला कि शेलार ने फर्जी दस्तावेज जमा करके बीएससी को धोखा दिया था। इसके बाद बीएमसी ने एक आवेदन दिया जिसके बाद 15 जुलाई को मामला दर्ज किया गया। एक अधिकारी ने कहा कि बीएमसी अधिकारियों ने अपने बयान में खुलासा किया था कि जब शेलार ने 2017 में काम पर रिपोर्ट करना बंद कर दिया, तो उन्हें प्रति माह 40,000 रुपये का भुगतान किया जा रहा था। 

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