प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में मुंबई के जंबो कोविड सेंटर घोटाले मामले में आरोपी सुजीत पाटकर के खिलाफ विशेष ईडी कोर्ट में चार्जशीट दायर की। चार्जशीट में पाटकर की मुख्य भूमिका बताई जा रही है। पाटकर शिवसेना सांसद संजय राउत के करीबी बताए जाते हैं। चार्जशीट में ईडी ने बताया है कि पाटकर ने अपने पार्टनर फर्म को जंबो कोविड सेंटर दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई थी। ईडी के मुताबिक, पाटकर ने किसी तरह से जंबो कोविड सेंटर के टेंडर के प्रोसेस की जानकारी पहले से ले ली थी। ईडी ने यह भी दावा किया है कि इस घोटाले के 32.44 करोड़ रुपये में से 2.81 करोड़ रुपये पाटकर के निजी बैंक अकाउंट में आए थे।
ईडी कस्टडी में पाटकर और बिसूरे
सुजीत पाटकर के अलावा इस चार्जशीट में जो दूसरे आरोपी हैं उनके नाम लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज, उसके तीन पार्टनर और दहिसर जंबो कोविड सेंटर के डीन डॉक्टर किशोर बिसूरे हैं। पाटकर और बिसूरे को प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया था और दोनों फिलहाल ईडी की कस्टडी में हैं। चार्जशीट के मुताबिक, पाटकर का लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विस में 30 प्रतिशत शेयर था, जबकि उसने उस कंपनी में मात्र 12,500 करोड़ किया था।
लाइफलाइन मैनेजमेंट सर्विस को कॉन्ट्रैक्ट
चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि पाटकर ने बीएमसी में अपनी पैठ का इस्तेमाल कर दहिसर और वर्ली की कोविड फैसिलिटी में काम करने वाले लोगों की सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट लाइफलाइन मैनेजमेंट सर्विस को दिलवा दी थी। ईडी ने अपनी चार्जशीट में यह भी दावा किया है कि आरोपी पार्टनर ने गलत तरीके से फाइनेंशियल प्रॉफिट के लिए दहिसर और वर्ली जंबो कोविड सेंटर में मेडिकल स्टाफ को आवश्यकता से कम तैनात करने की योजना बनाई।
मेडिकल स्टाफ की भारी कमी थी
अपनी प्लानिंग के मुताबिक, उन्होंने जंबो कोविड सेंटर पर पोस्टेड अपने स्टाफ को बीएमसी (BMC) की ओर से जारी ईओआई (Expression of Interest) के अनुरूप फर्जी अटेंडेंस रिकॉर्ड बनाने के लिए कहा। चार्जशीट में आगे कहा कि प्लानिंग के अनुसार, मेडिकल स्टाफ की भारी कमी थी, जिससे कोविड-19 के मरीजों की जान का खतरा था। ईडी ने यह भी कहा है कि आरोपियों ने दहिसर जंबो कोविड सेंटर के लिए नकली, फेब्रिकेट अटेंडेंट शीट और संबंधित रिकॉर्ड जमा किए थे। वर्ली कोविड सेंटर में बिना किसी अटेंडेंट डेटा और स्टाफ रिकॉर्ड के बीएमसी को बिल भेजा गया।
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