पुणे (महाराष्ट्र): जहां समूचा भारत पढ़ने पुणे आता है, जहां एक से बढ़कर एक धुरंधरों ने पढ़ाई की है और उसी पुणे के विश्वविद्यालय का कुलपति एक अत्यंत साधारण घर का बेटा केवल विद्या के बल पर विद्या के काशी कहलाने वाले विद्यापीठ का कुलपति बनता हो और एक इतिहास रचता हो तो चर्चा लाजमी हो जाती है। उन तमाम गरीब स्टूडेंट्स के लिए ये खबर अंधेरे में दिए की रोशनी का काम करती है। अत्यंत गरीबी में हुई उनकी पढ़ाई के बावजूद इस मुकाम पर पहुंचने की वजह से गोसावी पर उनके माता-पिता को गर्व है।
केवल विद्या के दम पर पाया मुकाम
झोपड़ीनुमा छप्पर के घर में जन्म, मां अशिक्षित और अत्यंत ग्रामीण भाग का बेटा सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय का कुलपति बना हैं। जलगांव के प्रोफेसर डॉ. सुरेश वामनगीर गोसावी ने सारे रिकॉर्ड तोड़कर एक ऐसा मुकाम पाया जो केवल विद्या के दम से ही पाया जा सकता है इस बात को साबित किया जिसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत से गुजरना पड़ा। जलगांव के बेटे सुरेश गोसावी के सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के नए कुलपति बनने से उनके पुश्तैनी गांव में एक खुशी की लहर छा हई है। सुरेश गोसावी जलगांव तहसील के धामनगांव के मूल निवासी हैं।
आज भी खेती करती हैं मां
इनके पिता वामनगीर गोसावी सेवानिवृत्त टीचर रहे हैं लेकिन मां अनपढ़ हैं और आज भी खेती का काम करती हैं। उनके बड़े भाई अशोक गोसावी जिला शल्य चिकित्सक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। डॉ. गोसावी ने अपनी प्राइमरी से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई जलगांव जिले में ही की है। बाद में उन्होंने नासिक, पुणे में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने 1992 में एसपी कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में पढ़ाना शुरू किया। 1996 में उन्होंने पीएचडी पूरी की। 1998 से 2000 के बीच उन्होंने अमेरिका में पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप भी की। उन्होंने 2004 से भौतिकी विभाग में अपनी सेवा शुरू की थी।
'पुणे विश्विद्यालय की रैंकिंग को बहाल करने पर होगा फोकस'
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्विद्यालय कुलपति सुरेश गोसावी ने कहा, पुणे के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त होने पर खुशी हुई। पुणे विश्वविद्यालय में शैक्षणिक परिसर और संबद्ध कॉलेजों में नई शैक्षणिक नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ठोस प्रयास करेगा। विशेष रूप से प्रथम वर्ष के डिग्री पाठ्यक्रम की नीति के कार्यान्वयन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। आगे उन्होंने कहा, पुणे विश्वविद्यालय नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट को सुधारने का प्रयास करेंगे। मेरा ध्यान पुणे विश्विद्यालय की रैंकिंग को बहाल करने पर होगा।
(जलगांव से नरेंद्र कदम की रिपोर्ट)