Monday, November 25, 2024
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Dharavi Corona Cases: तीसरी लहर में पहली बार एशिया की सबसे बड़ी झुग्गीबस्ती धारावी हुई कोरोनामुक्त

Dharavi Corona Cases:कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव महाराष्ट्र पर भी काफी पड़ा है। खासकर मुंबई, जहां ओमिक्रॉन के मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं। इसी बीच एक सुखद खबर धारावी से आई है। एशिया की इस सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती कोरोना की तीसरी लहर में पहली बार कोरोनामुक्त हुई है।

Edited by: Dinesh Mourya @dineshmourya4
Updated on: January 29, 2022 10:32 IST
Dharavi Corona Cases- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Dharavi Corona Cases

Highlights

  • पहला केस 1 अप्रैल 2020 को मिला। 3 मई को धारावी में कोरोना पीक पर पहुंचा
  • दूसरी लहर में पहला केस 15 फरवरी 2021 को मिला। 8 जून को पीक पर पहुंचा
  • तीसरी लहर में पहला केस 27 दिसंबर 2021 को मिला। 7 जनवरी 2022 को पीक पर पहुंचा

Dharavi Corona Cases:कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव महाराष्ट्र पर भी काफी पड़ा है। खासकर मुंबई, जहां ओमिक्रॉन के मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं। इसी बीच एक सुखद खबर धारावी से आई है। एशिया की इस सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती कोरोना की तीसरी लहर में पहली बार कोरोनामुक्त हुई है।

ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ने के साथ ही बीएमसी की चिंता भी बढ़ गई थी, क्योंकि ओमिक्रॉन वायरस न सिर्फ बड़ी तेजी से फैलता है बल्कि एक ओमिक्रॉन संक्रमित व्यक्ति कई लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसी आशंका के मद्देनजर जैसे ही मुंबई में ओमिक्रॉन के मामले सामने आने लगे तो बीएमसी भी सुपर एक्टिव हो गई और कोशिश करने लगी ओमिक्रॉन पर जल्द से जल्द काबू पाया जाए लेकिन ऐसा हो नहीं सका। महज कुछ ही दिनों में ओमिक्रॉन ने मुंबई में आतंक मचा दिया। इस वेरिएंट का संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि 1 दिन में 20 हजार से ज्यादा केसेस मुंबई में सामने आने लगे। ओमिक्रॉन के संकट के बढ़ने के साथ ही बीएमसी को एक और डर सता रहा था और वो था एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी का। धारावी जहां की आबादी करीब 8 लाख से ज्यादा है। यहां 8 × 10 के कमरे में करीब 10 से 12 लोग रहते हैं.. तंग गलियां..छोटे-छोटे मकान.. कई सारे छोटे-छोटे कारखाने जहां सैंकड़ों मजदूर काम करते थे।

तीसरी लहर की शुरुआत के कुछ ही दिन बाद प्रशासन का डर हकीकत में बदल गया। 27 दिसंबर 2021 से धारावी में कोरोना के मरीज मिलने लग गए। महज चंद दिनों में हालात यह हो गए कि एक समय जिस धारावी में कोरोनावायरस पूरी तरह काबू में आ गया था वहां पर अचानक से कोरोना के तमाम रिकॉर्ड टूटने लगे। धारावी में 1 दिन में 150 से ज्यादा के कोरोना केसेस सामने आने लगे। कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही प्रशासन पर दबाव भी बढ़ने लग गया। क्योंकि धारावी की आबादी बहुत है और इस वायरस के संक्रमण का रेट भी बहुत ज्यादा है तो ऐसे में चिंता यह थी कि अगर जल्द से जल्द धारावी में कोरोना पर काबू नहीं पाया गया तो मुंबई के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। इसी चुनौती के समय में फिर एक बार बीएमसी ने 'धारावी मॉडल' को लागू किया।

धारावी में कोरोना पर कैेसे काबू पाया गया?

जी-नॉर्थ वॉर्ड के असिस्टेंट म्युनिसिपल कमिशनर किरण दिघावकर ने इंडिया टीवी को बताया कि, हमने तीसरी लहर के दौरान 3 सूत्रीय कार्यक्रम बनाया।

1.सैनिटाइयजेशन पर जोर 
हमने सैनिटाइजेशन पर सबसे ज्यादा जोर दिया। धारावी की 80 फ़ीसदी आबादी सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करती है और इसी जगह से संक्रमण सबसे ज्यादा फैलता है। इसीलिए हम दिन में 5 बार सभी सार्वजनिक शौचालयों को सैनिटाइज करते थे। एक विशेष टीम इसके लिए नियुक्त की गई। इस बात का खास एहतियात रखा कि इन शौचालयों के जरिए संक्रमण न फैले। 

2.टेस्टिंग पर फोकस
धारावी में 11 टेस्टिंग सेंटर बनाए गए। इन टेस्टिंग सेंटर्स पर कोई भी व्यक्ति आकर मुफ्त में अपना कोरोना टेस्ट कर सकता था। टेस्टिंग फ्री में होने की वजह से जो भी व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता था या फिर किसी में कोई लक्षण होते थे तो वह फौरन इन फ्री टेस्टिंग सेंटर्स में आकर टेस्ट कर लेते थे। हर रोज बड़े पैमाने पर यहां पर कोरोना टेस्टिंग होने लगे जिससे फायदा यह हुआ कि कोरोना संक्रमितों की पहचान वक्त पर होने लगी। इसके साथ ही उस व्यक्ति के संपर्क में आए हाई रिस्क और लो रिस्क कॉन्टैक्ट को ट्रेस कर आइसोलेट किया जाने लगा। 

3. युद्धस्तर पर टीकाकरण
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीनेशन सबसे हथियार है। इसलिए जी-नॉर्थ वॉर्ड ने धारावी में युद्धस्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया। एनजीओ की मदद से घर-घर जाकर लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित किया गया। लोगों को टीकाकरण सेंटर्स तक लाए। युद्धस्तर पर किए गए इन्ही कोशिशों का नतीजा है कि महज 1 महीने के भीतर ही धारावी कोरोना मुक्त हो गई। 28 जनवरी को धारावी में कोरोना का एक भी केस नहीं मिला। इस वक्त धारावी में कुल एक्टीव कोरोना मरीज महज 28 है। किरण दिघावकर का कहना है कि, धारावी में केसेस जीरो होने के बाद भी सभी कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

क्या कहते हैं बीएमसी के आंकड़े
पहली लहर: पहला केस 1 अप्रैल 2020 को मिला। 3 मई को धारावी में कोरोना पीक पर पहुंचा। 9 महिने बाद 25 दिसंबर 2020 को धारावी में कोरोना के शून्य केस रिपोर्ट हुए।दूसरी लहर: पहला केस 15 फरवरी 2021 को मिला। 8 जून को कोरोना पीक पर पहुंचा और 5 महीने बाद 14 जून 2021 को एक भी कोरोना मरीज नहीं मिला।
तीसरी लहर: पहला केस 27 दिसंबर 2021 को मिला। 7 जनवरी 2022 को कोरोना पीक पर पहुंचा और 1 महीने बाद 28 जनवरी 2022 को कोरोना के जीरो केस रिपोर्ट हुए।

 

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