Highlights
- शिवसेना में चौथी फूट के बाद महाराष्ट्र में अब शिंदे राज
- शिंदे ने 30 जून को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली
- फड़णवीस ने भी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के तौर शपथ ली
Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार के गिरने के बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेतृत्व को एकनाथ शिंदे को नया मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था। फडणवीस ने यह भी स्वीकार किया कि वह उप मुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने अपना निर्णय बदल दिया।
'बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने 2019 का चुनाव जीता था, लेकिन जनादेश चुरा लिया गया'
फडणवीस ने कहा कि भाजपा नेतृत्व का मानना था कि उन्हें सरकार का हिस्सा होना चाहिए, क्योंकि ‘‘संविधानेत्तर प्राधिकार’’ के माध्यम से सरकार चलाना सही नहीं होगा। संवाददाताओं से यहां बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने 2019 का चुनाव जीता था, लेकिन जनादेश ‘‘चुरा’’ लिया गया। उन्होंने कहा कि इसलिए उनकी पार्टी और शिंदे के नेतृत्व वाला शिवसेना का गुट ‘‘सत्ता के लिए नहीं, बल्कि समान विचारधारा’’ के लिए एक साथ आए हैं।
फडणवीस ने कहा, ‘‘हमारे नेता नरेंद्र मोदी जी, अमित शाह और जेपी नड्डाजी और मेरी मंजूरी से (शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया)...यह कहना गलत नहीं होगा कि शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव (भाजपा नेतृत्व के पास) मैं लेकर गया था और उन्होंने (नेतृत्व ने) इसे स्वीकार कर लिया।’’
'मैंने तय किया था कि मैं सरकार से बाहर रहूंगा, लेकिन...'
ज्ञात हो कि उद्धव ठाकरे के शक्ति परीक्षण से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद, शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जबकि फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने कहा, ‘‘यह भी तय किया गया था कि मैं सरकार से बाहर रहूंगा। लेकिन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुझे फोन किया और कहा कि पार्टी ने (मुझे उपमुख्यमंत्री बनाने का) फैसला किया है। यहां तक कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी मुझसे बात की थी।’’
फडणवीस ने कहा कि वह उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थे और उन्होंने मन बना लिया था कि वह बाहर से एकनाथ शिंदे सरकार की मदद करेंगे। उन्होंने कहा, “लेकिन मैंने अपने नेताओं के आदेश का पालन करते हुए अपना फैसला बदल दिया।’’