मुंबई: महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्यों (एमएलसी) के लिए हुए चुनावों में भाजपा को लगे झटके को लेकर पार्टी नेता देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी महा विकास अघाडी (एमवीए) के सहयोगियों की संयुक्त ताकत का आकलन करने में असफल रही। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करेगी और अगले चुनाव के लिए बेहतर तैयारी करेगी। विपक्षी भाजपा को झटका देते हुए गठबंधन उम्मीदवारों ने अब तक पांच निर्वाचन क्षेत्रों में से तीन में जीत दर्ज कर ली है। इन सीटों में से तीन स्नातक सीट हैं जबकि दो शिक्षक सीटें हैं। इन पांच सीटों के अलावा स्थानीय निकायों की एक सीट के लिए एक दिसंबर को चुनाव हुए थे।
धुले-नंदुरबार स्थानीय निकाय सीट से भाजपा के अमरीश पटेल विजयी हुए हैं। फडणवीस ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, "हम इन चुनावों में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की संयुक्त ताकत का अंदाजा नहीं लगा पाए। अब हमें पता है कि वे एक साथ मिलकर कितनी बड़ी टक्कर दे सकते हैं। हम अगले चुनावों के लिए बेहतर तैयारी करेंगे।" उन्होंने कहा, ‘‘हम छह में से सिर्फ एक सीट ही जीत सके। हम नतीजों का विश्लेषण करेंगे और अगली चुनौती के लिए योजना बनाएंगे। हम उम्मीदवारों के चयन के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे। हालांकि पहली नजर में मुझे लगता है कि वे उपयुक्त थे।"
उन्होंने कहा, ‘‘इस बार, राज्य प्रशासन ने एमएलसी चुनावों के लिए मतदाताओं का पंजीकरण कराया। लेकिन मेरे परिवार के कुछ सदस्यों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के परिवार के सदस्यों के नाम भी समय पर फॉर्म जमा कराने के बावजूद मतदाता सूची में नहीं पाए गए।" भाजपा नेता ने कहा, ‘‘आम तौर पर इस तरह के चुनावों में मतदाताओं का पंजीकरण राजनीतिक दलों द्वारा किया जाता है, लेकिन इस बार प्रशासन ने यह जिम्मेदारी ली थी।’’
उन्होंने शिवसेना पर भी निशाना साधते हुए कहा, "हालांकि शिवसेना के पास मुख्यमंत्री का पद है, वह केवल एक सीट ही जीत सकी। वास्तव में, चुनाव में कांग्रेस और राकांपा को शिवसेना से ज्यादा फायदा हुआ। पार्टी को इस बारे में सोचना चाहिए।" एक अन्य भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, "हम इन चुनावों में पार्टी को मिली नाकामी का आत्मविश्लेषण करेंगे। मुझे लगता है कि हम इस चुनाव में बहुत गंभीर नहीं थे।"
उन्होंने कहा, "हमने पहले के ज्यादातर चुनाव जीते थे, जिसके कारण संभव है कि भाजपा नेताओं में आत्मसंतोष का भाव आ गया हो। लेकिन चुनाव में जो हुआ, हम तुरंत उसका विश्लेषण नहीं कर सकते। हम पार्टी नेताओं के साथ बैठकर विचार करेंगे।"