Thursday, January 09, 2025
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मजदूर परिवार की बेटी सेना में भर्ती, ट्रेनिंग से वापस लौटने पर गांव वालों ने घोड़े पर बैठाकर निकाला जुलूस

राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील के ग्राम पिपल्या रसोड़ा मे रहने वाले गरीब मजदूर देवचंद भिलाला की बेटी संध्या भिलाला का अप्रेल 2021 में सीमा सुरक्षा बल के लिए चयन हुआ था।

Reported by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Published : December 20, 2021 18:48 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर
Image Source : PTI प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlights

  • फौज ट्रेनिंग से घर लौटने बेटी का गांव में जोरदार स्वागत
  • गांव वालों ने घोड़े पर बैठाकर निकाला जुलूस
  • मजदूर परिवार की बेटी सेना में भर्ती

राजगढ़ (मध्य प्रदेश): कहते हैं कि हिम्मत, हौसला और जज्बा हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। यही राजगढ़ जिले के गांव पिपल्या रसोड़ा की बेहद गरीब परिवार की संध्या भिलाला ने किया, जिसने स्कूल की पढ़ाई मजदूरी करके पूरा की और नौकरी करने को लिए फौज को चुका। संध्या ने सपना बचपन से फौज में जाने का सपना देखा था। ऐसे में भारतीय सेना में चयन होने और 8 महीने की ट्रेनिंग पूरा कर संध्या जब गांव पहुंची तो गांव ने उसे पलकों पर बैठा लिया। गांव वालों ने फौजी बेटी को घोड़े पर बैठाकर उसका स्वागत किया। पूरे गांव में जुलूस निकाला गया।

दरअसल, राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील के ग्राम पिपल्या रसोड़ा मे रहने वाले गरीब मजदूर देवचंद भिलाला की बेटी संध्या भिलाला का अप्रेल 2021 में सीमा सुरक्षा बल के लिए चयन हुआ था। राजस्थान में आर्मी की 8 महीने की ट्रेनिंग खत्म कर जब गाँव की लाडली संध्या वर्दी में अपने गाँव लौटी तो गांव वालों ने अपनी उसके स्वागत का ऐसा इंतजाम कर रखा था कि उसे भरोसा ही नहीं हुआ। फौज की वर्दी में घोड़े पर बैठे हुए संध्या की आंखें भी भीग गई।

गांव वालों ने न केवल सांध्य को घोड़े पर बैठाया बल्कि फूल मालाओं के साथ संध्या का स्वागत भी किया। गांव वालों के दिलों में देशभक्ति और अपने प्रति अपार प्रेम देखकर संध्या खुद को रोक नहीं पाई और ढोल धमाकों पर थिरक उठी। बता दें कि पिपल्या रसोड़ गांव में रहने वाली संध्या के पिता देवचंद भिलाला मजदूरी करते हैं। संध्या की दो बहने और दो भाई भी हैं, जिनमें से वह तीसरे नंबर की है। वह पढ़ाई के लिए दूसरों के खेतों में मजदूरी करती थीं।

12वीं पास करने के बाद संध्या ने प्राइवेट नौकरी करके MA की पढ़ाई पूरी की। लेकिन, उनमें फौज में जाने का जुनून था। उनके इस जुनून के पीछे गांव के दो लोग हैं, जो पहले से ही सेना में थे। फौज में जाने के इसी जुनून के चलते अपने काम के साथ-साथ संध्या ने फौज की परीक्षा दी। 7 साल प्रयास करने और दो बार फौज में असफल होने के बाद भी उसने हार नहीं मानी और अब वह फौज का हिस्सा हो गई हैं।

संध्या ने रोज सुबह 5 बजे उठकर दौड़ लगाने से लेकर तमाम वह काम किए, जिसके चलते आज संध्या का चयन सीमा सुरक्षा बल में हुआ है। संध्या नेपाल-भूटान के बॉर्डर पर देश की सीमाओं की सुरक्षा करेंगी।

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