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कोविड-19: सांसदों, शिक्षा विशेषज्ञों ने स्कूलों को फिर से खोलने पर दिया जोर

महाराष्ट्र में स्कूल सोमवार से पांचवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिये खुल गए। कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल डेढ़ साल से भी अधिक समय से बंद थे।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 06, 2021 17:49 IST
COVID-19: MPs, education experts suggest various models for schools to regain normalcy- India TV Hindi
Image Source : PTI संसद के सदस्यों, शिक्षा विशेषज्ञों और शिक्षकों ने स्कूलों को फिर से खोलने पर जोर दिया है।

मुंबई: संसद के सदस्यों, शिक्षा विशेषज्ञों और शिक्षकों ने स्कूलों को फिर से खोलने पर जोर दिया है और छात्रों की पढ़ाई को हो रहे नुकसान पर चिंता जतायी है। बच्चों के लिए सांसदों के समूह ने यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रंस फंड (यूनीसेफ) और स्वनीति पहल के समर्थन से स्कूलों को फिर से खोलने और महामारी से उबरने के लिए बच्चों पर केंद्रित नीति संबंधित विभिन्न पहलों पर चर्चा करने के लिए ऑनलाइन एक कार्यक्रम का आयोजन किया। चर्चा के दौरान उन्होंने स्कूलों के लिए विभिन्न प्रारूपों का सुझाव दिया जिससे सामान्य स्थिति बहाल करने तथा पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपायी करने में मदद मिलेगी। 

महाराष्ट्र में स्कूल सोमवार से पांचवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिये खुल गए। कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल डेढ़ साल से भी अधिक समय से बंद थे। यूनिसेफ ने एक विज्ञप्ति में कहा कि महाराष्ट्र के शिक्षा विभाग और यूनिसेफ के नवंबर 2020 के त्वरित आकलन सर्वेक्षण के अनुसार, स्कूल बंद होने के बाद से 36 प्रतिशत बच्चों के पास पिछले 14 महीने से पढ़ने की कोई सामग्री नहीं है और 16 प्रतिशत बच्चे घरों से बाहर काम कर रहे हैं तथा उनके स्कूल न लौटने की आशंका है। 

सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि जब बच्चों को सीखने और बड़े होने के लिए स्कूल में शारीरिक रूप से मौजूद होने की आवश्यकता होती है तब महामारी ने उन्हें एकांत में जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया है। यूनिसेफ, महाराष्ट्र की अधिकारी राजेश्वरी चंद्रशेखर ने स्कूलों को फिर से खोलने के सरकार के हाल के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह ध्यान में रखते हुए प्राथमिक कक्षाओं को भी फिर से खोलने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि इस आबादी को कोविड का खतरा कम है, जैसा कि लांसेट की कई रिपोर्टों में कहा गया है और पढ़ाई को भी काफी नुकसान हो रहा है।’’

सांसद डॉ. फौजिया खान ने कहा कि छात्रों के बीच अनुशासन का नुकसान भी एक अन्य मुद्दा है। कई बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान शारीरिक रूप से मौजूद रहते हैं, लेकिन सीखते नहीं हैं। वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने शिक्षा में जमीनी दिक्कतों का पता लगाने के लिए जिला स्तर पर नागरिकों, अभिभावकों, अधिकारियों, शिक्षकों का एक समूह बनाने का भी सुझाव दिया।

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