Highlights
- विशेष PMLA अदालत से नवाब मलिक को बड़ा झटका
- दाऊद इब्राहिम मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है मामला
- वाब मलिक का इस्तीफा तुरंत लिया जाना चाहिए- देवेंद्र फडणवीस
नई दिल्ली/मुंबई: महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और NCP नेता नवाब मलिक की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। विशेष PMLA अदालत ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और NCP नेता नवाब मलिक की प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत 7 मार्च तक बढ़ा दी है। यह मामला दाऊद इब्राहिम मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है।
ये दाऊद समर्पित सरकार है, ये दाऊद शरण सरकार है- देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, पहली बार महाराष्ट्र में कोई मंत्री जेल के अंदर है फिर भी उनका इस्तीफा नहीं लिया गया। वे दाऊद के परिवार से सांठगांठ के आरोप में जेल गए हैं... नवाब मलिक का इस्तीफा सरकार क्यों नहीं लेना चाहती, ये दाऊद समर्पित सरकार है, ये दाऊद शरण सरकार है। बीजेपी ने नवाब मलिक के इस्तीफे की मांग को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "सरकार नवाब मलिक का इस्तीफा क्यों नहीं लेना चाहती? ये दाऊद समर्पित सरकार है। नवाब मलिक का इस्तीफा तुरंत लिया जाना चाहिए।"
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बीते 23 फरवरी को किया गया था गिरफ्तार
बता दें कि, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और NCP नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दाऊद इब्राहिम से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बीते 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद विशेष अदालत ने उन्हें 3 मार्च तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया था। गुरुवार को कोर्ट ने नवाब मलिक की हिरासत को 7 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है।
जानिए क्या है मामला?
ईडी का आरोप है कि नवाब मलिक ने दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों- हसीना पारकर, सलीम पटेल और सरदार खान के साथ मिलकर मुंबई के कुर्ला में मुनीरा प्लंबर की पैतृक संपत्ति को हड़पने के लिए एक आपराधिक साजिश रची। इस पैतृक संपत्ति की कीमत लगभग 300 करोड़ रुपए है। ईडी ने दावा किया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस अपराध अंजाम दिया गया। ईडी ने यह मामला दाऊद इब्राहिम और अन्य के खिलाफ हाल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है। NIA ने UAPA की धाराओं के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज की थी। महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का बयान PMLA के तहत दर्ज किया गया था।