मुंबई. महाराष्ट्र में कोरोना की वजह से हालात खराब हैं। महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई में लगातार बढ़ रहे कोविड मरीजों के कारण अब हालात ऐसे हो गए है कि डाइग्नोस लैब से कोविड रिपोर्ट आने में 48 से 72 घंटे लग रहे है। मुम्बई की छोटी-बड़ी लैब्स पर वर्क प्रेशर इतना ज्यादा है कि एक एक दिन में 4 से 5 हजार सैम्पल बड़ी लैब में और 100 से 150 मरीजों के सैम्पल छोटी लैब में जमा हो रहे है।
मुम्बई के सबसे बड़े बीएमसी के केईएम अस्पताल में न सिर्फ मुंबई से बल्कि ठाणे, नवी मुम्बई, विरार, पालघर से भी मरीजों के आने का सिलसिला जारी है कि केईएम अस्पताल में इलाज मुफ्त या बहुत कम कीमत पर होता है। इसलिए यहां मरीजो की सांख्य लगातार बढ़ रही है। फिलहाल केईएम में 400 से ज्यादा कोविड मरीजों के लिए बेड हैं जिसमे 60 से ज्यादा आईसीयू और 50 से ज्यादा ऑक्सीजन बेड हैं।
केईएम के बाहर 20 से 25 लैब हैं, जिनमे कुछ लैब कोविड डेडिकेटेड लैब है यानी इसमे सिर्फ कोविड टेस्ट रिपोर्ट करवाई जाती है। ये लैब होम विजिट भी करते है यानी जो लोग घर में आइसोलेट होकर इलाज करवा रहे हैं उनका इलाज भी करते हैं। यहां करीब 1 दर्जन से ज्यादा मेडिकल स्टोर्स हैं जिनमे लगातार मरीजों की दवाओं के लिए भीड़ लगी रहती है।
मेडिकल स्टोर्स पर विटामिन सी, जिंक, फेम्बी फ्लू और कोविड संक्रमण से जुड़ी अन्य दवाओं की डिमांड इतनी ज्यादा है कि मेडिकल स्टोर वालों को अपने डिस्ट्रीब्यूटर से बार-बार माल मंगवाना पड़ रहा है। केईएम के बाहर के इन लैब संचालकों से जब इंडिया टीवी ने बात की तो इन्होंने बताया कि दिसंबर जनवरी में कोविड मरीजो का वर्क लोड अगर 100 था तो मार्च अप्रैल में 500 से ज्यादा हो गया है।
उन्होंने बताया कि पहले कोविड रिपोर्ट सेम डे आ जाती थी। अब कोविड रिपोर्ट आने में 2 से 3 दिन लग जा रहे है क्योंकि इस बार सभी लैब्स पर बहुत ज्यादा प्रेशर है। इसका नुकसान मरीजों को हो रहा है। कई लोगों को फ्लाइट कैंसल करवानी पड़ रही है। कई पॉजिटिव मरीज रिपोर्ट नहीं मिलने तक अस्पताल में भर्ती नही हो पा रहे है क्योंकि बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट के मरीजों को एडमिट नहीं किया जा रहा है।