मुंबई: एशिया की सबसे बड़े स्लम धारावी की खबर आप रोज देखते और सुनते होंगे जो कोरोना वायरस के लिहाज से एक बड़ा हॉटस्पॉट है लेकिन हम आपको मुम्बई के ऐसे इलाके के बारे में बताते है जो धारावी से बड़ा हॉटस्पॉट है। यहां कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा देश और मुम्बई के धरावी इलाको से कई गुना ज्यादा है, 11 परसेन्ट से लेकर 14 परसेन्ट मौत का आंकड़ा इसी इलाके से आ रहे है जबकि मुम्बई और धारावी के कुल आंकड़ों के लिहाज से ये काफी ज्यादा है।
ये इलाका अब पूरी तरह से कोरोना वायरस की चपेट में आता जा रहा है। इंडिया टीवी ने मुम्बई और महाराष्ट्र सरकार की आंखे खोलने वाली इसकी रिपोर्ट पहले दिखाई थी की यहां के जैसे हालात है वो मुम्बई व देश के लिए अच्छी खबर नही है। हम बात कर रहे है मुम्बई के गोवंडी शिवाजीनगर मानखुर्द जैसे इलाके एम ईस्ट वार्ड के अंतर्गत आता है। इस इलाके में अकेले ही मृतकों का आंकड़ा 50 के पार पहुंच गया है। मंगलवार तक कुल मृतकों की संख्या 54 हो गई। जबकि धारावी जैसे सबसे बड़े स्लम में मृतकों का आंकड़ा 20 ही है, यानी कि धारावी में हुई मौत से डबल से भी ज्यादा मौतें गोवंडी शिवाजी नगर में हुई है।
धारावी में मंगलवार तक कुल 665 केस है। 20 लोगों की मौत हुई है जबकि शिवाजीनगर गोवंडी मानखुर्द इलाके में आज की तारीख में 54 लोगों की मौत हुई है और 506 पॉजिटिव केस है। धरावी में 196 लोगों को डिस्चार्ज किया गया है जबकि यहां सिर्फ 75 लोग डिस्चार्ज किये गए है, यानी ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी धारावी के मुकाबले कम है जबकि कुल आंकड़ों के लिहाज से मृतकों की संख्या कही ज्यादा है।
मंगलवार को जहां धारावी में 33 नए जेस सामने आए है वही शिवाजी नगर गोवंडी में 41 नए केस सामने आए है यानी कि प्रतिदिन पॉजिटिव केस के मामले में भी ये इलाका धारावी को पीछे छोड़ रहा है।
अब ऐसे हालात में सवाल तो उठते गई कि आखिर ऐसे हालात के बावजूद प्रशासन की नजर इस इलाके पर क्यों नही है धारावी में बढ़ते केस को लेकर नए अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है लेकिन इस इलाके में सरकारी अस्पताल के अलावा दूसरे कोई बड़ा हॉस्पिटल भी नही है।
इंडिया टीवी ने सरकार और बीएमसी को पहले ही आगाह किया था कि यही हालात रहे तो ठाकरे सरकार की मुश्किल आने वाले दिनों में बढ़ सकती है। फिर भी ठाकरे सरकार की आंखे नही खुली। इंडिया टीवी इन इलाकों में खुद पहंची इलाके की हकीकत जानी और दिखाया भी लेकिन वही ढाक के 3 पांत, कुछ नही बदला। लेकिन अब बढ़ते मौत के आंकड़ों को ध्यान में रहकर इंडिया टीवी एक बार फिर ज़िम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाते हुए दुबारा इस इलाके में पहुंचा और हमने फिर वही तस्वीर देखी।
यहां लगतार बढ़ते मौत के आंकड़े और पॉजिटिव केस के बावजूद लोग खुले आम सड़कों पर निकल कर घूम रहे है उन्हें कोरोना का कोई खौफ नही है। सोशल डिस्टेंसिंग नाम की चीज नही है सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही और लोग दिखाई दिए जैसे देश में लॉक डाउन ही नही है। अब ऐसे मे कोरोना का ग्राफ बढ़ेगा या नहीं ये खुद सोच सकते है।
धारावी में तो ढाई हजार लोगों की बीएमसी द्वारा तैनात टीम काम कर रही है लेकिन इस इलाके में अस्पताल के डॉक्टर्स के अलावा कुछ गिने-चुने लोग ही है। आंकड़ों के लिहाज से सवाल भी खड़े हो रहे है। विपक्ष में बैठी बीजेपी नेताओं को भी यही चिंता सता रही है कि धारावी के एशिया का सबसे बड़ा स्लम का तमगा देकर तो कुछ हो रहा है लेकिन इन इलाकों में कोई पूछने वाला नही है धारावी में 8 लाख की आबादी है तो यहां 10 से 12लाख की आबादी है
वहीं इन इलाकों से कुर्सी पर बैठे शिवसेना के सहयोगी पार्टियां खुद इस बात से चिंतित है। मृतकों के आकड़े की सच्चाई तो मान रहीं है लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के सवाल पर उनका भी वही जवाब है जो कि वहां के लोगों कानहै की इन छोटे-छोटे घरों में कोई गुजारा कैसे करे। साथ ही सेना के सहयोगी होते हुए भी राज्य की सत्ताधारी सेना और सीएम ठाकरे क्यों नही ध्यान दे रहे है उस पर भी उनकी चिंता बढ़ी हुई है लेकिन सही जवाब नही है कि आखिर इस पर रोक कैसे लगे। बस तर्क वही है कि बीएमसी साथ नही दे रही। कई कोशिशों के बावजूद उतनी सुविधा नही मिल रही जितनी धारावी जैसे इलाकों को मिल रही है।