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OMG! जेल में बंद था, फिर भी 20 साल तक छोटा शकील के शार्पशूटर को ढूढ़ नहीं पाई पुलिस, अदालत ने लगाई फटकार

पुलिस को तब अदालत के गुस्से का सामना करना पड़ा, जब उसने कोर्ट को बताया कि मर्डर केस में 20 साल से फरार जिस आरोपी की तलाश थी, वह जेल में ही निरुद्ध है। एक अन्य मामले में वह विचाराधीन कैदी के रूप में 5 सालों से मुंबई की जेल में बंद है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Feb 12, 2023 17:27 IST, Updated : Feb 12, 2023 17:27 IST
प्रतीकात्मक फोटो
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

मुंबई से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, यहां मुंबई पुलिस 20 सालों से फरार अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील के जिस शार्पशूटर की तलाश करती रही वह शहर के एक जेल में बंद मिला। इसे लेकर मुंबई पुलिस को अदालत ने फटकार लगाई है। पुलिस को तब अदालत के गुस्से का सामना करना पड़ा, जब उसने कोर्ट को बताया कि मर्डर केस में 20 साल से फरार जिस आरोपी की तलाश थी, वह जेल में ही निरुद्ध है। एक अन्य मामले में वह विचाराधीन कैदी के रूप में 5 सालों से मुंबई की जेल में बंद है।

महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) मामलों के विशेष न्यायाधीश ए. एम पाटिल ने 1999 में बॉम्बे अमन कमेटी के अध्यक्ष वाहिद अली खान की हत्या के आरोपी माहिर सिद्दीकी को बरी करते हुए 3 फरवरी को पारित अपने आदेश में यह टिप्पणी की। अदालत ने अभियोजन पक्ष की मामले में कई विसंगतियों का हवाला दिया। 

वाहिद अली खान की गोली मारकर हत्या 

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, सिद्दीकी और एक सह-आरोपी ने जुलाई 1999 में मुंबई के एलटी मार्ग इलाके में खान के घर के पास गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों फरार हो गए थे। पुलिस ने मई 2019 में सिद्दीकी का पता लगाकर उसे गिरफ्तार कर लिया। उन्हें उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले और उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। 

छोटा शकील समेत छह 6 की संलिप्तता का पता चला

जांच के दौरान पुलिस को सिद्दीकी और छोटा शकील समेत छह लोगों की संलिप्तता के बारे में पता चला। पुलिस ने कहा था कि उन्हें यह भी पता चला कि अपराध छोटा शकील के इशारे पर हुआ था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सिद्दीकी के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल करते समय अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि वह घटना की तारीख से गिरफ्तारी तक फरार था, जबकि वह 2014 से 2019 के बीच एक अन्य मामले में विचाराधीन कैदी था और सीआईडी ​​उसे गिरफ्तार कर चुकी थी। 

अदालत ने पूछा कि जब वह जेल में था, तो पुलिस उसका पता लगाने में कैसे विफल रही। न्यायाधीश ने कहा, "पुलिस उसे खोजने में विफल रही, जबकि उसके पास फरार आरोपियों और विचाराधीन कैदियों का रिकॉर्ड होता है। इसकी असली वजह तो पुलिस ही बता सकती है।"

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