Highlights
- हाई कोर्ट ने कहा- हर व्यक्ति को राइट टू प्राइवेसी का अधिकार है
- 'राइट टू प्राइवेसी' का बैलेंस 'राइट टू स्पीच' से होना चाहिए- हाई कोर्ट
- मलिक ने ट्वीट कर कहा- सत्यमेव जयते
मुंबई: NCB के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका लगा है। हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और NCP नेता नवाब मलिक के बयानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जैसे राइट टू प्राइवेसी है, वैसे ही देश में राइट टू स्पीच भी है। कोर्ट ने कहा कि 'राइट टू प्राइवेसी' का बैलेंस 'राइट टू स्पीच' से होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि डिफेंडेंट (नवाब मलिक) को 'राइट टू स्पीच' का अधिकार है।
हालांकि, इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि 'हर व्यक्ति को राइट टू प्राइवेसी का अधिकार है।' कोर्ट ने कहा कि 'किसी भी अधिकारी के बारे में बयान देने से पहले हर पहलू की जांच/वेरिफिकेशन की जाए।' कोर्ट ने कहा कि 'नवाब मलिक द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं, वो पूरी तरह से गलत हैं, यह कहना इस स्टेज पर सही नहीं होगा।'
कोर्ट ने यह भी कहा कि 'इसे याद रखना होगा कि डिफेंडेंट (नवाब मलिक) के दामाद को एनसीबी ने गिरफ्तार किया था।' हाई कोर्ट ने कहा कि समीर वानखेड़े के खिलाफ नवाब मलिक के ट्वीट दुर्भावना से प्रेरित थे। कोर्ट ने कहा कि मंत्री उचित सत्यापन के बाद ही वानखेड़े, उनके परिवार के खिलाफ बयान दे सकते हैं।'
कोर्ट के यह सब कहने के बाद महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने एक ट्वीट किया और गलत हो रहे कामों के खिलाफ जंग जारी रखने की बात कही। उन्होंने लिखा, "सत्यमेव जयते, गलत कामों के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी..."
बता दें कि इससे पहले नवाब मलिक ने शनिवार को कहा कि आर्यन खान की जमानत याचिका पर हाई कोर्ट के विस्तृत आदेश ने उनके इस दावे की पुष्टि की है कि आर्यन खान के खिलाफ मादक पदार्थ का मामला फर्जी था।
मलिक ने कहा था कि स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े को अदालत के निष्कर्षों के बाद निलंबित कर दिया जाना चाहिए।