Saturday, December 21, 2024
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दुष्कर्म की शिकार 15 साल की लड़की को अबॉर्शन की परमिशन नहीं, हाईकोर्ट ने कहा- प्रेग्नेंसी खत्म करने पर भी बच्चा जिंदा पैदा होगा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि नेचुरल डिलीवरी सिर्फ 12 हफ्ते दूर है, ऐसे में बच्चे के स्वास्थ्य और डेवलपमेंट को भी ध्यान में रखना होगा। पीठ दुष्कर्म पीड़िता की मां की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अपनी बेटी के गर्भ में पल रहे 28 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की अनुमति देने की अपील की थी।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jun 26, 2023 17:15 IST, Updated : Jun 26, 2023 17:15 IST
pregnant woman
Image Source : FILE PHOTO हाईकोर्ट ने नाबालिग को गर्भपात की अनुमति नहीं दी (प्रतिकात्मक तस्वीर)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने 15 वर्षीय एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को उसके गर्भ में पल रहे 28 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की इस राय के बाद यह कदम उठाया है कि गर्भावस्था के इस चरण में गर्भपात करने पर भी शिशु के जिंदा पैदा होने की संभावना है, जिसके कारण उसे नवजात देखभाल इकाई में भर्ती कराने की जरूरत पड़ेगी। जस्टिस आर वी घुगे और न्यायमूर्ति वाई जी खोबरागड़े की पीठ ने 20 जून के अपने आदेश में कहा कि यदि गर्भपात की प्रक्रिया के बावजूद किसी बच्चे के जिंदा पैदा होने की संभावना है, तो वह बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था की अवधि पूरी होने के बाद प्रसव की अनुमति देगी।

हाईकोर्ट ने कहा कि नेचुरल डिलीवरी सिर्फ 12 हफ्ते दूर है, ऐसे में बच्चे के स्वास्थ्य और डेवलपमेंट को भी ध्यान में रखना होगा। पीठ दुष्कर्म पीड़िता की मां की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अपनी बेटी के गर्भ में पल रहे 28 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की अनुमति देने की अपील की थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि उसकी बेटी इस साल फरवरी में लापता हो गई थी और तीन महीने बाद पुलिस ने उसे राजस्थान में एक व्यक्ति के साथ पाया था। उक्त व्यक्ति के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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दुष्कर्म पीड़िता की जांच करने वाले चिकित्सा दल ने कहा था कि अगर गर्भपात की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, तो भी बच्चा जीवित पैदा हो सकता है और उसे नवजात देखभाल इकाई में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी, साथ ही पीड़िता की जान को भी खतरा होगा।

(इनपुट- भाषा)

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