मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोप में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (FIR) को गुरुवार को रद्द करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी की जांच जारी है और ऐसे में इस चरण में अदालत का कोई भी हस्तक्षेप ठीक नहीं है। जस्टिस एस एस शिंदे और जस्टिस एन जे जामदार की बेंच ने कहा कि प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध वाली देशमुख की याचिका ‘खारिज किए जाने लायक’ है।
हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के बाद देशमुख और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में 24 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हाई कोर्ट ने देशमुख के उस अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया, जिसमें उन्होंने अपील दायर करने के लिए समय दिए जाने की खातिर फैसले पर रोक लगाने का आग्रह किया था। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद वकील जयश्री पाटिल की शिकायत पर जांच शुरू की गई थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई के जरिए देशमुख ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता ने कहा था कि उनके खिलाफ चल रही CBI जांच अवैध है, क्योंकि केंद्रीय एजेंसी ने उन पर मुकदमा चलाने के लिए महाराष्ट्र सरकार से पूर्व मंजूरी नहीं ली। कोर्ट ने गुरुवार को एक अन्य आदेश में यह भी कहा कि सीबीआई अनिल देशमुख और उनके सहयोगियों के साथ गठजोड़ को लेकर पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर तथा बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की बल में बहाली की जांच कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि यह पुलिस आयुक्त का कर्तव्य है कि वह देश के कानून को लागू करें और वह 'किसी व्यक्ति के नहीं, बल्कि कानून के सेवक हैं।'