Sunday, December 22, 2024
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मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए काटे जाएंगे ‘मैंग्रोव’ के 20 हजार पेड़, कोर्ट ने दी इजाजत

महाराष्ट्र में जब भी कोई ऑथारिटी किसी पब्लिक प्रोजेक्ट के लिए मैंग्रोव के पेड़ों को काटना जरूरी समझती है तो उसे अदालत से इजाजत लेनी पड़ती है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published : Dec 09, 2022 16:47 IST, Updated : Dec 09, 2022 16:47 IST
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Image Source : PTI मुंबई-अहमदाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए 20 हजार पेड़ काटे जाएंगे।

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHSRCL) को मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए मुंबई, पालघर और ठाणे में मैंग्रोव के लगभग 20 हजार पेड़ काटने की इजाजत दे दी है। चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अभय आहूजा की बेंच ने मैंग्रोव के पेड़ों को काटने की मांग वाली NHSRCL की याचिका स्वीकार कर ली। हाई कोर्ट के वर्ष 2018 के एक आदेश के तहत राज्य भर में मैंग्रोव (दलदलीय भूमि में उगे पेड़ व झाड़ियां) के पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह से बैन लगा हुआ है।

NHSRCL का वादा, 5 गुना पेड़ लगाएंगे

महाराष्ट्र में जब भी कोई ऑथारिटी किसी पब्लिक प्रोजेक्ट के लिए मैंग्रोव के पेड़ों को काटना जरूरी समझती है तो उसे हर बार हाई कोर्ट से इजाजत लेनी होती है। कोर्ट के आदेश के तहत जिस इलाके में मैंग्रोव के पेड़ हैं, उसके आसपास 50 मीटर का ‘बफर जोन’ बनाया जाना चाहिए, जिसमें किसी भी निर्माण गतिविधि या मलबे को गिराने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। NHSRCL ने 2020 में दायर याचिका में अदालत को आश्वस्त किया था कि पहले मैंग्रोव के जितने पेड़ों को काटे जाने की योजना थी, वह उनका 5 गुना पेड़ लगाएगा।

NGO ने किया था याचिका का विरोध
NHSRCL के आश्वासन के बावजूद ‘बॉम्बे एन्वायर्नमेंटल ऐक्शन ग्रुप’ नाम के एक NGO ने यह कहते हुए उसकी याचिका का विरोध किया था कि नए लगाए गए पौधों के जिंदा रहने की दर के बारे में कोई स्टडी नहीं हुई है, और यह भी नहीं पता है कि पेड़ों के काटे जाने का पर्यावरण पर क्या असर होगा। NHSRCL ने NGO द्वारा जताई गई आपत्तियों को खारिज करते हुए दावा किया था कि उसने इस प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर जरूरी अप्रूवल हासिल कर लिया था और इसके कारण होने वाले नुकसान की भरपाई पौधे लगाकर की जाएगी।

बुलेट ट्रेन से घट जाएगा यात्रा का समय
बता दें कि अहमदाबाद और मुंबई के बीच प्रस्तावित 508 किलोमीटर लंबे हाई स्पीड रेल कॉरिडोर से दोनों शहरों के बीच का यात्रा का समय 6.5 घंटे से घटकर 2.5 घंटे रह जाने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि यात्रा के समय में आई इस कमी से पूरे क्षेत्र के विकास की रफ्तार तेज हो सकती है और साथ ही जनता को भी काफी सहूलियत मिल सकती है।

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