मुंबई: लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद फिर एक बार कांग्रेस और ठाकरे सेना में वर्चस्व की जंग शुरू हो गई है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन में पहले सिर्फ एक सांसद होने की वजह से कांग्रेस सबसे छोटी पार्टी थी लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद कांग्रेस अब MVA गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका अदा करना चाहती है। वहीं, कांग्रेस को बड़ा भाई मनाने के लिए ठाकरे सेना तैयार नहीं है और इसी वजह से आए दिन शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र कांग्रेस में किसी न किसी मुद्दे पर विवाद होता रहता है।
विधान परिषद की सीटों पर शुरू हुआ था विवाद
ताजा विवाद महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव को लेकर खड़ा हो गया था जहां ठाकरे ने बिना कांग्रेस से चर्चा किए विधान परिषद की चारों सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए। नाराज कांग्रेस ने भी दो सीटों पर उम्मीदवारों का नामांकन दाखिल कर दिया। विधान परिषद की ये 4 सीटें मुंबई स्नातक, मुंबई शिक्षक, कोकण स्नातक और नासिक शिक्षण हैं। सीट बंटवारे के मसले को हल करने के लिए नाना पटोले लगातार उद्धव ठाकरे से संपर्क करने की कोशिश करते रहे लेकिन उद्धव ने न तो नाना का फोन उठाया और न ही कोई जवाब भिजवाया। नाना ने मीडिया से बातचीत में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि मैंने मातोश्री फोन किया था लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।
विवादों पर सवाल को टाल गए थे आदित्य ठाकरे
रोचक बात यह है कि इस बीच ठाकरे महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले का फोन नहीं उठा रहे थे लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस के जूनियर नेताओं से मातोश्री पर मुलाकात कर रहे थे। नाना की नाराजगी पर जब आदित्य ठाकरे से सवाल पूछा गया तो सीधे जवाब देने के बजाय उन्होंने कहा कि इस मुद्दे हमारी पार्टी के प्रवक्ता जवाब देंगे। ठाकरे सेना के इस रवैये से महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता आगबबूला हो गए और इसकी शिकायत हाईकमान से की। कुछ ही महीने बाद होने जा रहे महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में नुकसान न हो इसलिए कांग्रेस हाईकमान ने हस्तक्षेप किया और मंगलवार की रात उद्धव ठाकरे से बात कर विवाद को हल करने की कोशिश की।
कांग्रेस हाईकमान से बातचीत के बाद माने उद्धव
उद्धव ठाकरे और कांग्रेस हाईकमान ने बातचीत कर सीट बंटवारे पर समझौता करते हुए तय किया कि ठाकरे कोकण की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ेंगे और कांग्रेस नासिक की सीट से ठाकरे सेना के लिए छोड़ेगी। जब इस पूरे विवाद पर उद्धव ठाकरे से सवाल पुछा गया तो उन्होने कबूल किया कि सीट बंटवारे के दौरान संवाद की कमी थी लेकिन वह ये भी बताना नहीं भूले की उन्होंने नाना पटोले के बजाय कांग्रेस हाईकमान से बातकर विवाद को हल किया। ठाकरे सेना और महाराष्ट्र कांग्रेस में जारी वर्चस्व की यह लड़ाई का यह कोई पहला वाकया नहीं है। पहले भी कई ऐसी घटनाएं हो चुकी है जब महाराष्ट्र कांग्रेस और ठाकरे सेना ने एक दूसरे को दबाने या नीचा दिखाने की कोशिश की।
खुद को अपमानित महसूस करते हैं कांग्रेस के नेता
दरअसल, एक तरफ जहां नाना पटोले आक्रामक स्वभाव के हैं और गठबंधन में कांग्रेस के सम्मान के लिए लगातार मुखर होकर आवाज उठाते रहे हैं तो दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से सीधे संपर्क नहीं करते हैं। हर विवादित मुद्दे का हल निकालने के लिए वह सीधे दिल्ली हाईकमान से बात करते हैं। ठाकरे के इस रवैये से महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता खुद को अपमानित महसूस करते हैं। लोकसभा चुनाव के पहले संजय राउत ने एक बार कहा था कि वह गली के नेताओं से बात नहीं करते हैं, जिसके बाद नाना पटोले ने भी राउत पर तंज कसते हुए कहा था कि संजय राउत बहुत विद्वान नेता हैं।
महाविकास अघाड़ी को हो सकता है बड़ा नुकसान
कांग्रेस लगातार कह रही है कि वह राष्ट्रीय पार्टी है, सबसे ज्यादा उसकी सीटें आई हैं जिसके जवाब में ठाकरे सेना के संजय राउत ने कहा है कि चुनाव गठबंधन के तौर पर लड़ा गया था और जितनी भी सीटें महाविकास अघाड़ी ने जीती हैं उसके लिए तीनों दलों के नेताओं ने मेहनत की थी, ऐसे में कोई बड़ा, छोटा या मंझला भाई नहीं होगा। ठाकरे सेना और महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता एक दूसरे के साथ सहज महसूस नहीं करते हैं। अगले कुछ महीनो में महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव, विधानसभा चुनाव सहित कई अन्य चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में इस बड़े इम्तिहान के पहले ही जारी इस रस्साकशी की वजह से महाविकास अघाड़ी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।