महाराष्ट्र: बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न कांड को लेकर बंबई हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान हाई कोर्ट ने जांच के तहत दो आरोपी ट्रस्टियों को गिरफ्तार नहीं कर पाने पर विशेष जांच दल यानी SIT से नाराजगी जताई। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने सवाल उठाया कि पुलिस जो आमतौर पर आरोपियों को पकड़ने के लिए किसी भी हद तक चली जाती है, लेकिन इस मामले में उन्हें गिरफ्तार करने में असमर्थ कैसे है? मामले में अदालत ने अगस्त में स्वत: संज्ञान लिया था।
क्या था पूरा मामला?
बता दें कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले में बदलापुर कस्बे के एक स्कूल में 4 साल और 4 साल की दो बच्चियों का एक कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न किया था। आरोपी अक्षय शिंदे को घटना के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था और 23 सितंबर को एक मुठभेड़ में वह पुलिस की गोली लगने से मारा गया। महाराष्ट्र सरकार ने अगस्त में कहा था कि पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी की अगुवाई वाली एसआईटी घटना की जांच करेगी। मामले में आरोपियों के तौर पर स्कूल के दो ट्रस्टियों अध्यक्ष और सचिव के भी नाम आए। दोनों पर घटना की जानकारी तत्काल पुलिस को नहीं देने और लापरवाही बरतने के आरोप में बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामला दर्ज किया गया।
दोनों आरोपी हैं फरार
महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने पीठ को सूचित किया कि दोनों आरोपी अब भी फरार हैं और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। दोनों ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। अदालत ने कहा, "पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए किसी भी हद तक जाती है। वे इन दोनों को कैसे गिरफ्तार नहीं कर पाए? क्या पुलिस उन्हें अग्रिम जमानत मिलने का इंतजार कर रहे हैं?" बीरेंद्र सराफ ने कहा कि पुलिस दोनों को पकड़ने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की तारीख तय की है। (इनपुट- भाषा)
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