मुंबई: अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। इसे पूरे देश में महोत्सव की तरह मनाया जाएगा। इसी क्रम में महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने इंडिया टीवी से ख़ास बातचीत की। उन्होंने बताया कि प्रभु श्री राम भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि मेरे निजी और राजनीतिक जीवन में प्रभु श्री राम का बहुत बड़ा महत्व है। मेरी राजनीतिक शुरुआत राम के शिलापूजन के कार्यक्रम से हुई और कार सेवक के रूप में मैं आंदोलन में सम्मिलित हुआ और तीनों कार सेवा में मैंने हिस्सा लिया। मेरा राम के साथ एक इमोशनल रिश्ता रहा है।
वर्षों से था भव्य राम मंदिर का इंतजार
देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि मुझे विश्वास था कि राम मंदिर ज़रूर बनेगा। कब बनेगा इसका इंतज़ार भी था। सभी भारतीयों को बाबर काल से मंदिर की प्रतीक्षा थी। बाबर के सेनापति ने सिर्फ़ इसलिए राम मंदिर नहीं तोड़ा की वह एक हिंदू मंदिर है। बल्कि वह जानते थे कि भारत के मन-मन में रोम रोम में राम था। बाबर यह दिखाना चाहता था कि देखो तुम्हारे भगवान को हम मिटा रहे हैं। तुम्हारा भगवान भी तुमको नहीं बचा सकता। वहां कोई नमाज नहीं पढता था। वो एक कलंक था जो नासूर बनकर हमारे दिल में चुभता था। उन्होंने कहा कि मैं भी विचार करता था जब बाबरी मस्जिद को गिराने के बाद वहां राम मंदिर तो बन ही गया था। लेकिन जो भव्य राम मंदिर की कल्पना की थी, क्या वो हम देख पाएंगे ये मैं सोचता था। मैं PM मोदी का धन्यवाद अदा करना चाहता हूं कि जिस गति के साथ मंदिर बना है। वह अकल्पनीय है। अब पीएम मोदी के हाथों से प्राण प्रतिष्ठा हो रही है तो मेरे जैसे करोड़ों लोगों के सपने को पूरा करने का काम हो रहा है।
कारसेवा में शामिल होने की सुनाई कहानी
उपमुख्यमंत्री ने कारसेवा में शामिल होने का भी किस्सा इंडिया टीवी के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 1990 की पहली कारसेवा में मैं नागपुर से बिना टिकट ट्रेन से गये थे। देवराह बाबा के आश्रम में रुके। मंदिर की छत पर खुले आसमान में सोते थे। ठंड का मौसम था तब से शरीर सिकुड़ जाता था लेकिन हम डटे रहे। फिर एक दिन हम आयोध्या की तरफ़ बढ़े लेकिन एक ब्रिज के ऊपर पुलिस ने हमें रोका दोनों तरफ़ से गोलियां चल रही थी। कुछ कार सेवकों ने नदी में छलांग लगायी। ऐसा बताया जाता है कि कुछ कारसेवकों की मौत भी हुई। फिर हमको को गिरफ़्तार कर लिया, जहां से बदायूं की जेल में भेजा गया और वहां मुझे कई दिनों तक कैद रखा गया था।
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बदायूं जेल में गाते थे भजन
देवेंद्र फडनवीस ने बताया कि बदायूं जेल में रहने के दौरान सभी रामभक्त भजन गाते थे। हनुमान चालीसा का पाठ किया करते थे। उन्होंने बताया कि इस दौरान जेल में कई नारे भी लगाए जाते थे। जिसमें बच्चा बच्चा राम का, जन्म भूमि के काम का। रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे। कौन करे मंदिर निर्माण, पुलिस-पीएसी और जवान समेत कई और भी नारे लगाए जाते थे। उन्होंने बताया कि बदायूं जेल में रहने के दौरान मैंने एक पत्र मेरी मां को लिखा था लेकिन जब मैं बदायू की जेल से छूटकर नागपुर पहुंचा तो मेरे पहुंचने के दूसरे दिन वो पत्र मेरी मां को मिला था।
कारसेवकों के संकल्प ने मिटाया कलंक
इसके बाद दूसरी कारसेवा दिसंबर 1992 में हुई। उस समय मैं 22 साल का था और कॉर्पोरेटर बना था। हम दूसरी बार जब अयोध्या के लिए गए तो तब कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। इसलिए को रोक टोक नहीं थी। हम काला राम मंदिर में रुके थे। हम छह सीटों वाली टीम को मैं कुमति नारे लगाते थे शुरू में मांग करते थे। 6 दिसंबर को अयोध्या में बाबरी ढांचे के पास थोड़ी दूर पर एक मंच बना था। जहां आडवाणी से लेकर मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित कई सारे बड़े नेता थे। लाखों के कारसेवकों की भीड़ थी। हमें बताया गया था की मिट्टी हाथ में लेकर संकल्प लेना है। इस दौरान मंदिर निर्माण का संकल्प लेना था लेकिन कारसेवक अपनी ही मस्ती में थे और अचानक सभी बाबरी ढांचे की तरफ़ चल दिए।
कारसेवकों ने मन बनाया था कि किसी की नहीं सुनेंगे। और देखते ही देखते पहले ग़ुम्बद पर चढ़े उसको गिराया या फिर दूसरे गुम्बद को तोड़ा लेकिन तीसरा गुंबद टूट नहीं रहा था। लेकिन रात तक वह भी टूटा। हमारे कई साथी ऊपर चढ़े थे। मैं केवल ढांचे के नीचे खड़ा था। लोगों में उत्साह था। उस उत्साह को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। कई कारसेवक ख़ुशी से नाच रहे थे क्योंकि कलंक का ढांचा था। देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि कोई हिन्दू मस्जिद नहीं तोड़ सकता हिंदू हमेशा सहिष्णु रहा है। बाद में कुछ लोगों ने सिर्फ़ वोटो की राजनीति के लिए बाबरी मस्जिद का इस्तेमाल किया।
उद्धव ठाकरे शिवसेना पर साधा निशाना
वहीं इस दौरान देवेंद्र फडनवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हम सभी हिंदू हृदय सम्राट बालासाहब ठाकरे क हम सम्मान करते हैं। वह शेर थे हिंदुत्व के लिए खड़े होते थे। बालासाहब ठाकरे को जब पूछा कि बाबरी शिवसैनिकों ने गिरायी? तो उन्होने कहा कि हां, अगर वहां पर मेरे शिवसैनिक होंगे तो मुझे उन पर गर्व है। लेकिन मैं आपको कहता हूं कि हम वहां पर किसी पार्टी के कार्यकर्ता बनकर नहीं गए थे। हम राम भक्त कार सेवक बनकर गए थे। उद्धव ठाकरे और उनके लोग जो आज बयानबाजी कर रहे हैं। उस समय वहां कोई नहीं था। ये सब छुपकर घर में बैठे थे। आज यह लोग राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं इनको बोलने का अधिकार भी नहीं है। ये कोई वहां नहीं थे।
अब मंदिर भी बनाया और रामलला को वहां स्थापित भी कर रहे
उन्होंने कहा कि मुझे ख़ुशी है कि कम से कम उद्धव ठाकरे किसी न किसी मंदिर में तो जा रहे हैं। आजकल जिस तरह के प्रयोग उनकी पार्टी में चल रहे हैं इसलिए अच्छी बात है कि वो किसी राम मंदिर में जा रहे हैं। हमने तो हमेशा कहा है ही राम सबके हैं। जिसे जब चाहे वो मंदिर जाए। हम रोकने वाले कौन हैं? आप भी चले जाइए आपके अलायंस में कोई है तो उसको भी ले जाइये। ये वो लोग हैं जो बोलते थे कि मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख़ नहीं बताएंगे आज तारीख़ भी बता दी और रामललाअभी उसमें विराजमान भी हो रहे हैं। अगर आपमें हिम्मत है तो आप भी जाइए और रामलला के दर्शन कीजिए।