Highlights
- नाम बदलने का मसला काफी पुराना, स्थानीय चुनाव करीब आने पर फिर गरमाया मुद्दा
- सत्तासीन शिवसेना क्यों नहीं बदल रही नाम: मनसे
- 16वीं सदी में औरंगजेब ने रखा था इस शहर का नाम
Aurangabad vs Sambhajinagar: महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्र में से एक औरंगाबाद शहर के नाम को लेकर एक बार फिर राजनीति जोरों पर है। एक तरफ औरंगाबाद का नाम जिस मुग़ल शासक औरंगजेब के नाम पर पड़ा, उस औरंगजेब की कब्र को लेकर राजनीति जोरों पर है। वहीं अब इस शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी के नाम पर संभाजीनगर करने की मांग फिर से उठी है।
महाराष्ट्र में 2022 में ही मुम्बई, नई मुम्बई, औरंगाबाद, कोल्हापुर, सोलापुर, पुणे, ठाणे, कल्याण जैसे डेढ़ दर्जन बड़े शहरों के महानगरपालिका के चुनाव सितंबर या अक्टूबर में हो सकते हैं। चुनाव कब होंगे, इसकी घोषणा होनी बाकी है पर अभी से राज्य की सियासत में गर्मी बढ़ने लगी है।
नाम बदलने का मसला काफी पुराना, स्थानीय चुनाव करीब आने पर फिर गरमाया मुद्दा
औरंगाबाद की बात करें तो यह शहर मराठवाड़ा की राजधानी कहलाता है। औरंगाबाद महानगर पालिका में सत्ता पर शिवसेना विराजमान थी। अब प्रशासक काम देख रहे हैं।
औरंगाबाद शहर का नाम छत्रपति संभाजी के नाम पर संभाजीनगर करने का मुद्दा वैसे काफी पुराना है। समय समय पर ये मांग उठती रही है पर चूंकि औरंगाबाद महानगरपालिका का चुनाव सामने है, जिस कारण फिर यह मुद्दा गरमाता जा रहा है।
एक तरफ बीजेपी और राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने औरंगाबाद में औरंगजेब की कब्र को उखाड़ फेंकने की मांग तेज की है, वही हिंदुत्व के मुद्दे पर घिरती शिवसेना ने औरंगाबाद के एयरपोर्ट के नामकरण का मुद्दा उठाकर हिंदुत्व के मुद्दे पर हो रही किरकिरी कम करने की कोशिश की है।
सिंधिया से मिलकर की औरंगाबाद एअरपार्ट का नाम बदलने की मांग
शिवसेना ने सीनियर लीडर और कैबिनेट मंत्री सुभाष देसाई ने काल ही में दिल्ली में केंद्रीय सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर मांग की है कि औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदल कर संभाजीनगर एयरपोर्ट किया जाए। शिवसेना के इस राजनीतिक पैंतरे के बाद बीजेपी ने सिर्फ एयरपोर्ट नहीं, बल्कि शहर का नाम बदलने की मांग की। साथ ही शिवसेना पर हमला बोला कि कांग्रेस एनसीपी के दबाव में शिवसेना ये नहीं कर पायेगी।
सत्तासीन शिवसेना क्यों नहीं बदल रही नाम: मनसे
वहीं राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने भी बीजेपी के सुर में सुर मिलाते हुए शिवसेना से सवाल पूछा कि बालासाहेब ठाकरे जब औरंगाबाद को संभाजीनगर नाम से बोलते थे तो अब शिवसेना की राज्य में सत्ता है, ऐसे में संभाजीनगर का नामकरण क्यों नहीं हो रहा है। औरंगाबाद का नाम बदला जाए, यह बात सबसे पहले बालासाहेब ने कही थी, लेकिन उसका नाम बदला नहीं। अभी नाम बदलने पर विरोध क्यों, महाविकास आघाडी में मतभेद कैसे हो रहे हैं।
कांग्रेस और एनसीपी ने जताया विरोध
वहीं औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस एनसीपी का विरोध है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि बीजेपी इस तरह की मांग कर असल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। क्या शहर का नाम बदलने से महंगाई बेरोजगारी कम होगी?
शिवसेना बोली— 'पहले अहमदाबाद का नाम बदले बीजेपी'
शिवसेना का इस मुद्दे पर कहना है कि औरंगाबाद को बालासाहेब ने सबसे पहले संभाजीनगर पुकारा। तब से उद्धव ठाकरे और हर शिवसैनिक इसे संभाजीनगर ही पुकारते हैं। हम नाम बदलेंगे, लेकिन कानून से बिना दंगा फसाद किए ऐसा किया जाएगा। पहले बीजेपी एयरपोर्ट का नाम संभाजीनगर करे। बीजेपी हमें सिखाने के बजाए दिल्ली के मुग़ल शासकों के नाम पर बनी सड़को के और अहमदाबाद शहर का नाम पहले बदले।
सबसे पहले बाला साहेब ने औरंगाबाद को संभाजीनगर कहा
शिवसेना का कहना है कि बालासाहेब ने सबसे पहले संभाजीनगर कहा। शिवसेना ने सबसे पहले इसकी मांग की है। पिछले 5 वर्षों में जब फडणवीस सीएम थे, जो कितने लोग औरंगजेब की कब्र पर गए? संभाजीनगर एयरपोर्ट का प्रस्ताव सरकार ने पास कर केंद्र को भेजा है। हमने मांग की तो वे अब दिल्ली में मुग़ल शासकों के नाम से बने रास्तों के नाम मिटा रहे उसे ढक रहे। औरंगजेब को लेकर हमारी मांग है उसकी कब्र हम हटाएंगे कानून से सब करेंगे। बीजेपी इतना बोल रही तो अहमदाबाद शहर का नाम बदले। 5 वर्ष देवेंद्र सीएम थे तब औरंगाबाद का नाम क्यों नहीं बदला गया। हम कोई कांग्रेस एनसीपी के दबाव में नहीं है। हम करेंगे, सब शांति से करेंगे बिना किसी दंगे फसाद के करेंगे।
औरंगाबाद कितने हैं हिंदू और मुस्लिम
औरंगाबाद शहर की कुल आबादी करीब 18 लाख है। इसमें हिंदुओं की आबादी करीब 51 फीसदी, तो मुस्लिम आबादी लगभग 35 फीसदी है। ऐसे में हिन्दू मुस्लिम वोट बैंक किसी भी राजननीतिक दल का गणित बना और बिगाड़ सकता है।
औरंगाबाद पर एआईएमआईएम का कब्जा
वर्ष 1999/2000 से 2020 तक औरंगाबाद महानगरपालिका पर शिवसेना की ही सत्ता रही है। पिछले 4 बार से शिवसेना का ही सांसद चुना गया है । लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और शिवसेना के हाथों से लोकसभा की सीट खिसक गई है जिसपर अब Aimim का कब्जा हो गया है।
शिवसेना को हिंदू वोटों के बंटवारे की चिंता
शिवसेना और बीजेपी साथ साथ थे, तो शिवसेना को इकट्ठा हिंदू वोट मिल जाते थे, लेकिन अब दोनों हिंदुत्ववादी पार्टियां अलग हो चुकी हैं जिससे शिवसेना को हिन्दू वोटों में बंटवारे की चिंता सता रही है। वहीं हैदराबाद नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने शहर के नाम बदलने का मुद्दा उठाया, तो उसे जबरदस्त फायदा हुआ था। वहीं बीजेपी की चाल शिवसेना अब औरंगाबाद में चलने देना नहीं चाहती है। तो कांग्रेस मुस्लिम वोटों पर नजर रख नाम बदलने का विरोध कर रही है। औरंगाबाद महाराष्ट्र के मराठवाड़ा का प्रमुख केंद्र है ।
16वीं सदी में औरंगजेब ने रखा था इस शहर का नाम
16 वी सदी में मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने 1636 में इस शहर का नाम औरंगाबाद किया। औरंगजेब ने इस शहर का विकास किया। इस शहर में अपनी बीबी रबिया दुरानी के नाम ताजमहल की कॉपीनुमा मकबरा बनाया। औरंगजेब का निधन भी इसी जिले मे हुआ। अब इस शहर का नाम बदलने पर फिर राजनीति शुरू हुई है। ये मुद्दा पहली बार उठा, ऐसा भी नहीं है। शिवसेना की ये मांग बरसों से चली आ रही है।
आपको बता दें कि शिवसेना सुप्रीमो बााला साहेब ठाकरे ने 1985 में सबसे पहले औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने के मुद्दे को हवा दी थी। तब से शिवसेना द्वारा औरंगाबाद को संभाजी नगर ही बोला और लिखा गया।