Monday, November 25, 2024
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एंटीलिया मामला, मनसुख हिरेन की हत्या और सचिन वाजे का रोल, देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाकर समझाया पूरा 'खेल'

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार और सचिन वाजे को लेकर कई आरोप लगाए और अपने आरोपों में इशारा किया कि एंटीलिया मामला और मनसुख हिरेन की हत्या में कहीं न कहीं सचिन वाजे का हाथ हो सकता है

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 17, 2021 19:18 IST

मुंबई। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलना, जिस कार में विस्फोटक पाया गया उसके मालिक मनसुख हिरेन की हत्या होना और उस विस्फोटक के मामले तथा मनसुख हिरेन से मुंबई पुलिस के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर सचिन वाजे को लेकर अबतक आई खबरों से ऐसा लग रहा था कि मामला बहुत उलझा हुआ है। लेकिन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार और सचिन वाजे को लेकर कई आरोप लगाए और अपने आरोपों में इशारा किया कि एंटीलिया मामला और मनसुख हिरेन की हत्या में कहीं न कहीं सचिन वाजे का हाथ हो सकता है। 

"पूर्व सरकार में शिवसेना ने बनाया था वाजे की वापसी का दबाव"

देवेंद्र फडणवीस ने सचिन वाजे की मुंबई पुलिस में वापसी पर सवाल उठाए और कहा "सबसे अहम सवाल यह होता है कि असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (API) सचिन वाजे को नौकरी में वापस क्यों लिया गया। 2004 में सस्पेंड हुए 2007 में वीआरएस दिया, उसके बाद उनका वीआरएस नहीं माना गया क्योंकि उनके ऊपर जांच चल रही थी, 2018 में जब मैं सीएम था उस समय शिवसेना की तरफ से दवाब था कि वाजे को फिर एक बार पुलिस महकमें में लिया जाए, मैने उनका पिछला रिकॉर्ड देखने को बाद तय किया कि एडवोकेट जनरल की सलाह लूंगा, उन्होंने साफ कहा कि उनके खिलाफ गहरी इंक्वायरी चल रही है और उन्हें वापस लेना ठीक नहीं होगा मैने भी वही फैसला किया।"

"कोरोना का बहाना बनाकर वाजे की वापसी कराई"

देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "2008 में इन्होंने शिवसेना में प्रवेश लिया और कुछ समय तक शिवसेना के प्रवक्ता के तौर पर भी काम किया, शिवसेना के साथ उनके गहरे रिश्ते रहे, कई शिवसेना के लोगों के साथ उनके बिजनेस रिलेशन भी रहे। 2019 के अंत में जब उद्धव ठाकरे की सरकार आई तो सचिन वाजे को फिर वापस लेने का प्रयास शुरू हुआ, जैसे ही मार्च में कोरोना आया तो उसके बाद कोरोना का  बहाना बनाकर एक कमेटी तैयार हुई और उस रिव्यु कमेटी में लिख दिया कि क्योंकि कोरोना में उन्हें अधिकारियों की आवश्यकता है इसलिए सचिन वाजे को वापस लिया जाता है। इसमें रोचक बात ये है कि पूरे कोरोना काल में कुछेक अधिकारियों को छोड़कर किसी अधिकारी को वापस नहीं लिया, कुछ अधिकारी मामूली वजहों से सस्पेंड थे उनको भी नहीं लिया।"

'वाजे पर फिरौती का मामला'

देवेंद्र फडणवीस ने बताया, "2017 में वाजे के खिलाफ फिरौती का केस लगा और एक एक्सटॉर्सेशन रैकेट का पर्दाफास हुआ उस रैकेट में इनका नाम आया और इन्होंने जमानत ली और रिकॉर्ड में यह आया है कि उस रैकेट में ये खुद और इनके साथी एक्टिवली भाग लेते थे" 

"वाजे को जबरदस्ती क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का इंचार्ज बनाया"

देवेंद्र फडणवीस ने बताया,  "मुंबई क्राइम ब्रांच की सबसे महत्वपूर्ण यूनिट है क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट जिसे पुलिस इंस्पेक्टर दर्जे के अधिकारी हेड करते हैं। सचिन वाजे जो एपीआई है जैसे ही उसे लिया एक रात में उन दोनो लोगों को ट्रांस्फर कर दिया और एपीआई को सीआईयू का प्रमुख बनाया गया। उसके बाद मुंबई में जितने हाई प्रोफाइल केस हुए, सभी केस सीआईयू के पास भेजे गए। अभी यह भी केस सीआईयू के पास आने का कोई कारण नहीं था, लेकिन सारे हाई प्रोफाइल केस सीआई यूनिट को ही दी जाती थी। इनका कद सीपी के बाद अगर किसी का कद मुंबई पुलिस में था तो सचिन वाजे का था, सीएम की ब्रीफिंग के समय गृहमंत्री की ब्रीफिंग शिवसेना के मंत्रियों की ब्रीफिंग में वे नजर आते थे, एक प्रकार से वे सीआईयू के प्रमुख के रूप में नहीं बल्कि वसूली अधिकारी के रूप में उनको बैठाया गया। बड़े पैमाने पर मुंबई में डांस बार चलाने की छूट दी गई और सबके इंचार्ज यही रहे" 

"वाजे के कहने पर मनसुख ने मुलुंड में पार्क की थी गाड़ी"

सचिन वाजे पर बड़ा आरोप लगाते हुए देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "मनसुख हिरन को ये पहले से जानते थे, जो स्कॉर्पियो गाड़ी है उसे इन्होने मनसुख हिरेन से खरीदा था लेकिन पेमेंट नहीं किया था, 4 महीने तक इनके पास ये गाड़ी थी, नवंबर से लेकर  फरवरी तक, फिर मनसुख ने कहा कि आप इसका पेमेंट कर दीजिए या गाड़ी वापस दे दीजिए, इन्होंने कहा कि मैं कुछ और दिन रखूंगा, और फिर मनसुख को दे दी गई लेकिन वापस मंगा ली, जिसे मनसुख ने मुलुंड में उस जगह पार्क कर दिया था" 

"वाजे के कहने पर मनसुख ने लिखवाई थी गाड़ी चोरी होने की रिपोर्ट"

देवेंद्र फडणवीस ने सचिन वाजे पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा, "मनसुख को कहा गया कि गाड़ी को वहां छोड़ दो और चाबी हमें दे दो, सचिन वाजे ने गाड़ी ली और मनसुख को कहा कि कल जाकर शिकायत दर्ज करिए की गाड़ी चोरी हो गई है, वो जब कुर्ला पुलिश स्टेशन गए तो उनकी शिकायत दर्ज नहीं हो रही थी, तो वहां के ड्यूटी अफसर को सचिन वाजे का फोन आया जिसमें वाजे ने तुरंत रजिस्टर करने के लिए कहा और यह भी कहा कि रजिस्टर करने के बाद हमें जानकारी दीजिए।"

"जांच को लेकर मनसुख से खुद करवाई थी शिकायत"

देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "सोची समझी साजिश के तहत मनसुख हिरन को किसी और ने इंटेरोगेट नहीं किया, तीनों दिन वाजे ही उनको इंटेरोगेशन कर रहे थे, उनको वाजे ने ही बताया कि तुम्हें और एजेंसी इंटेरोगेट कर सकती हैं, इसलिए एक शिकायत कर दो और अपने पहचाान के वकील के पास वो खुद मनसुख को लेकर गए और मनसुख से शिकायत करवा दी कि मुझे पुलिस के अलग अलग लोग बुलाते हैं, मुझे पुलिस से तकलीफ है और अपना भी नाम उसमें डलवा दिया, फिर वह सीएम को भेजा गृह मंत्री को भेजा"

मनसुख की हत्या को लेकर बड़ा आरोप 

देवेंद्र फडणवीस मनसुख की हत्या को लेकर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा, "जिस दिन मनसुख को रात में एक फोन आया कि गावड़े ने आपको बुलाया है, और उनको जिस इलाके में बुलाया वो वही इलाका है जिस इलाके में सचिन वाजे पर फिरौती का केस लगा है, उसके बाद दूसरे दिन उनकी लाश मिली। हमारा तो यह मानना है कि मनसुख हिरेन को वहीं पर मार दिया गया, मारने के बाद उनकी लाश खाड़ी में फेंकी गई और महत्वपूर्ण बात ये है कि हाईटाइड में उसे फेंकने की कोशिश हुई, अगर लाश हाईटाईड में फेंकी जाती तो वापस ही नहीं आती। मामला ऐसा बनता कि मनसुख हिरेन भाग गए, बात ठंडी हो जाती। आधे घंटे का डिफरेंस आया उनके केलक्युलेशन में और हाईटाइड की जगह लो टाइड आया जिसकी वजह से मनसुख हिरेन की लाश वहकर नहीं गई बल्कि वहीं रह गई" 

मनसुख की हत्या के मामले को भी NIA टेकओवर करे

देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट को देखें तो ध्यान में आता है कि उनके मुंह में रुमाल कैसे आए, उनके शरीर पर घाव ऐसी जगह पर हैं जिससे पता चलता है कि कहीं न कहीं उनको बांधा गया था ताकी उनका दम घुट सके। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में कहीं भी उनके फेफड़ों में पानी नहीं मिला है। अगर पानी में गिरकर वो मरे तो फेफड़ों में भरपूर पानी होना चाहिए, सीधा मतलब है कि उनकी हत्या हुई है। अभी तो NIA सिर्फ जिटेटिन मामले की जांच कर रही है, मनसुख की मौत का मामला अभी भी एटीएस के पास है, मुझे पता नहीं क्या समस्या है, पर जिस तरह से एटीएस को कार्रवाई करनी चाहिए ऐसी कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही। क्योंकि इतने सारे सबूत मेरे जैसे पुलिस के बाहर के व्यक्ति को मिल सकते हैं तो मैं दावे से कह सकता हूं कि पुलिस के पास ज्यादा सबूत हैं। पुलिस और एटीएस और NIA के पास ऐसे टेप हो सकते हैं जिसमें मनसुख की आवाज है और जिसमें वाजे ने उनको क्या क्या कहा है इसकी पुष्टि भी होती है। इतने सारे सबूत होने के बावजूद अभी भी जो उनके मौत के केस हैं उसमें एटीएस की ओर से शुरुआत में कुछ एक्शन दिखा लेकिन उसके बाद एक्शन नहीं दिख रहा। हमारी मांग है क्योंकि यह कनेक्टेड मामला है, पहली कार्रवाई एटीएस को करनी चाहिए थी, हत्या के मामले में उनको अरेस्ट करना चाहिए थे और NIA को कस्टडी देनी चाहिए थी लेकिन देरी हुई है। अब वो मामला भी NIA को टेकओवर कर लेना चाहिए" 

"सचिन वाजे के पीछे किसी और का हाथ"

देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "मेरा मानना है कि यह सारा घटनाक्रम अकेला सचिन वाजे नहीं कर सकते, ऐसे में कौन कौन शामिल है इसकी भी जांच होनी चाहिए। मुझे यह दिखाई पड़ता है कि यह पुलिस की असफलता नहीं है बल्कि सरकार की असफलता है। सरकार ने ऐसे व्यक्ति को जिसका इतिहास पता है, क्या वजह है कि उसके बावजूद इतनी जरूरी जगह पर बिठाया, इसके बावजूद कोई न कोई ऐसी सरकार की है कि जिस चीज के कारण उनकी मजबूरी है कि बिठाना है। जिस तरह से हमारे मुख्यमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसे डिफेंड कर रहे थे और सरकार हाउस में डिफेंड कर रही थी। अगर इतने सबूत मेरे पास नहीं आते तो शायद उसे महात्मा ही ठहराया जाता। सवाल पूछा जा रहा था कि क्या यह ओसामा बिन लादेन है। इस मामले की तह तक जाना होगा, जिन इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करने के लिए उनको यहां लाकर बिठाया गया उससे इनका क्या संबंध है, यह भी हमारी जांच एजेंसी को ढूंढना पड़ेगा" 

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